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भारत के मुख्य न्यायाधीश का भावुक विदाई समारोह में पिता को श्रद्धांजलि

भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने हाल ही में नागपुर में एक विदाई समारोह में अपने पिता के बलिदान को याद किया। उनके भावुक शब्दों ने सभी को प्रभावित किया, जब उन्होंने अपने पिता के त्याग और संघर्षों का जिक्र किया। न्यायमूर्ति गवई ने बताया कि कैसे उनके पिता ने वकालत छोड़कर राजनीति में कदम रखा और परिवार के लिए आर्थिक कठिनाइयों का सामना किया। इस पल ने न केवल उनके व्यक्तिगत संघर्ष को उजागर किया, बल्कि उनके पिता के आदर्शों के प्रति उनकी गहरी श्रद्धा को भी दर्शाया।
 

मुख्य न्यायाधीश का भावुक संबोधन

भारत के मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति बी.आर. गवई, हाल ही में नागपुर में एक जिला न्यायाधीश के विदाई समारोह में गहरे भावुक हो गए। अपने भाषण में, उन्होंने अपने पिता के बलिदान को याद करते हुए अपनी भावनाओं को व्यक्त किया, जिससे उनकी आँखें नम हो गईं।

न्यायमूर्ति गवई के पिता, स्वर्गीय दादासाहेब गवई, महाराष्ट्र के एक प्रतिष्ठित वकील और राजनीतिक व्यक्तित्व थे। वे एक पूर्व सांसद और विधान परिषद के सदस्य भी रह चुके थे। न्यायमूर्ति गवई ने बताया कि उनके पिता ने वकालत छोड़कर राजनीति और सामाजिक कार्यों पर ध्यान केंद्रित किया।

भावुक होते हुए, उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने पिता को वकालत छोड़ते हुए देखा और परिवार की आर्थिक कठिनाइयों का सामना करते हुए महसूस किया कि यह निर्णय उनके लिए 'अपराधबोध' का कारण बना। उन्होंने कहा, "मुझे हमेशा लगता था कि मेरे पिता ने अपनी कानूनी करियर को राजनीति के लिए छोड़ दिया, जिससे परिवार को आर्थिक संघर्ष का सामना करना पड़ा।" लेकिन अब, वे समझते हैं कि यह एक 'महान त्याग' था।

न्यायमूर्ति गवई ने यह भी बताया कि भले ही उनकी प्रारंभिक रुचि विज्ञान में थी, उनके पिता ने उन्हें कानून के क्षेत्र में आने के लिए प्रेरित किया। उनके पिता की सलाह पर उन्होंने कानून की पढ़ाई की और आज इस मुकाम पर पहुंचे हैं।

उनके ये शब्द सुनकर वहाँ उपस्थित सभी लोग भावुक हो गए। यह क्षण न केवल उनके व्यक्तिगत संघर्षों को दर्शाता है, बल्कि उनके पिता के आदर्शों और बलिदान के प्रति उनकी गहरी श्रद्धा को भी उजागर करता है।