भारत के संविधान की मजबूती पर नेपाल और बांग्लादेश की स्थिति का प्रभाव
भारत के संविधान की ताकत का उल्लेख
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को नेपाल में हो रही हिंसा का उल्लेख करते हुए भारतीय संविधान की मजबूती को रेखांकित किया। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ राष्ट्रपति द्वारा भेजे गए एक संदर्भ मामले की सुनवाई कर रही थी, जब मुख्य न्यायाधीश गवई ने नेपाल के तनावपूर्ण हालात का जिक्र किया।
पड़ोसी देशों की स्थिति
मुख्य न्यायाधीश गवई ने कहा, "हमें अपने संविधान पर गर्व है, देखिए पड़ोसी देशों में क्या हो रहा है।" उन्होंने नेपाल में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का उल्लेख किया, जिसमें अब तक 22 लोगों की जान जा चुकी है। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ ने बांग्लादेश का उदाहरण दिया, जहां छात्र आंदोलन के कारण तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा। दोनों देशों में हिंसक प्रदर्शनों ने इमारतों को आग के हवाले कर दिया और युवाओं ने अपने-अपने प्रधानमंत्रियों के इस्तीफे की मांग की।
नेपाल में प्रदर्शन और हिंसा
नेपाल में हिंसक उथल-पुथल
सोमवार को नेपाल की सड़कों पर Gen-Z प्रदर्शनकारियों ने भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ प्रदर्शन किया, जिसमें प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और उनकी सरकार के इस्तीफे की मांग की गई। ये प्रदर्शन जल्द ही हिंसक हो गए, जब प्रदर्शनकारियों का सुरक्षा बलों से टकराव हुआ। मंगलवार को गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन, राष्ट्रपति कार्यालय, प्रधानमंत्री निवास, राजनीतिक दलों के कार्यालयों और वरिष्ठ नेताओं के घरों में आग लगा दी।
बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन
बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन
भारत के एक अन्य पूर्वी पड़ोसी बांग्लादेश में भी इसी तरह की घटनाएं देखने को मिलीं। अगस्त 2024 में छात्रों के नेतृत्व में हुए प्रदर्शन ने तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़कर भागने के लिए मजबूर कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप सत्ता परिवर्तन हुआ।
भारतीय संविधान की मजबूती
भारतीय संविधान की ताकत
नेपाल और बांग्लादेश की अशांति ने भारतीय संविधान की मजबूती को और उजागर किया है। यह संकटग्रस्त पड़ोसी देशों की तुलना में भारत की स्थिरता को दर्शाता है.