भारत को BRICS पार्लियामेंट्री फोरम में मिली बड़ी कूटनीतिक सफलता
BRICS पार्लियामेंट्री फोरम का आयोजन
ब्राजील में BRICS पार्लियामेंट्री फोरम: हाल ही में ब्राजील में आयोजित BRICS पार्लियामेंट्री फोरम में भारत ने एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक उपलब्धि हासिल की है। इस सम्मेलन में सभी सदस्य देशों ने आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता दिखाई और भारत की मांगों का समर्थन किया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस फोरम में आतंकवाद के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया और वैश्विक स्तर पर भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता को उजागर किया।
आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त प्रस्ताव
आतंकवाद के खिलाफ जॉइंट रेजोल्यूशन
BRICS स्पीकर्स फोरम में आतंकवाद के खिलाफ एक संयुक्त प्रस्ताव जारी किया गया, जिसमें हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की गई। 22 अप्रैल को हुए इस हमले को सभी BRICS देशों ने “एक आपराधिक कृत्य” करार दिया और आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति की वकालत की।
CCIT पारित करने की अपील
CCIT को शीघ्र पारित करने की अपील
संयुक्त प्रस्ताव में यह स्पष्ट किया गया कि आतंकवाद पर किसी भी प्रकार के दोहरे मापदंड अस्वीकार्य हैं और सभी देशों को आतंकवादी संगठनों और उनके समर्थन करने वाले नेटवर्क के खिलाफ कठोर कार्रवाई करनी चाहिए। इसके साथ ही, संयुक्त राष्ट्र में लंबित Comprehensive Convention on International Terrorism (CCIT) को शीघ्र पारित करने की अपील भी की गई।
ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी
ऑपरेशन सिंदूर के तहत उठाए गए कदमों की जानकारी
ओम बिरला ने द्विपक्षीय बैठकों के दौरान ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत द्वारा उठाए गए निर्णायक कदमों की जानकारी साझा की। ब्राजील, ईरान और तुवालू जैसे देशों ने इन बैठकों में भारत के रुख का खुला समर्थन किया और आतंकवाद के खिलाफ उसकी कार्रवाई को आवश्यक और उचित बताया।
BRICS में शामिल देश
ये 10 देश शामिल
BRICS पार्लियामेंट्री फोरम में अब 10 देश शामिल हैं- ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, और नए सदस्य मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात। सभी ने एक स्वर में आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम उठाने पर सहमति जताई।
आतंकवाद के खिलाफ भारत की स्थिति
आतंकवाद के खिलाफ मजबूती
भारत के लिए यह सम्मेलन महत्वपूर्ण रहा क्योंकि पहली बार BRICS मंच से आतंकवाद पर इतनी स्पष्ट और सामूहिक भाषा में बयान जारी हुआ है। विश्लेषकों का मानना है कि यह भारत की रणनीतिक और कूटनीतिक जीत है, जो भविष्य में अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आतंकवाद के खिलाफ उसके अभियान को और मजबूती प्रदान करेगी।