×

भारत को S-400 मिसाइल सिस्टम की डिलीवरी 2026 तक पूरी होगी

रूस के उप राजदूत रोमन बाबुष्किन ने पुष्टि की है कि भारत को S-400 स्ट्रैटेजिक एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम की शेष रेजिमेंट 2026 तक समय पर मिलेंगी। इस प्रणाली ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अपनी प्रभावशीलता साबित की है। जानें इस प्रणाली की क्षमताएं, डिलीवरी शेड्यूल और रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण हुई देरी के बारे में।
 

S-400 मिसाइल सिस्टम की डिलीवरी का आश्वासन

रूस के उप राजदूत रोमन बाबुष्किन ने सोमवार (2 जून) को जानकारी दी कि भारत को S-400 स्ट्रैटेजिक एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम की शेष रेजिमेंट 2026 तक समय पर मिलेंगी। यह अत्याधुनिक मिसाइल प्रणाली भारत-पाकिस्तान के बीच ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अपनी प्रभावशीलता साबित कर चुकी है, जिसमें पाकिस्तानी ड्रोन और मिसाइलों को सफलतापूर्वक नष्ट किया गया था। इसके अलावा, इस प्रणाली की एक और खेप की संभावनाओं पर चर्चा चल रही है।


ऑपरेशन सिंदूर में S-400 की सफलता

ऑपरेशन सिंदूर में S-400 का शानदार प्रदर्शन

बाबुष्किन ने कहा, "हमें जानकारी मिली है कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के समय S-400 ने अत्यंत कुशलता से कार्य किया।" उन्होंने भारत और रूस के बीच लंबे समय से चले आ रहे सहयोग की सराहना की और कहा कि यह एयर डिफेंस सिस्टम "यूरोप और यहां की स्थिति को देखते हुए, हमारे रक्षा साझेदारी के सबसे आशाजनक विषयों में से एक है।"


डिलीवरी शेड्यूल और भविष्य की योजनाएं

डिलीवरी शेड्यूल और भविष्य की योजनाएं

बाबुष्किन ने आगे कहा, "मेरी जानकारी के अनुसार, बाकी S-400 यूनिटों का कॉन्ट्रैक्ट समय पर पूरा होगा। हम इस साझेदारी को और मजबूत करने के लिए तत्पर हैं और एयर डिफेंस सिस्टम पर चर्चा को बढ़ाने के इच्छुक हैं। मुझे विश्वास है कि यह 2025 और 2026 में पूरा हो जाएगा।" भारत ने 2018 में रूस के साथ पांच रेजिमेंट के लिए 5.43 बिलियन डॉलर का अनुबंध किया था, जिनमें से तीन रेजिमेंट पाकिस्तान और चीन से सटी सीमाओं पर तैनात की जा चुकी हैं।


S-400 की क्षमताएं और डिलीवरी

S-400 की डिलीवरी और क्या हैं इसकी क्षमताएं!

भारत को पहला रेजिमेंट दिसंबर 2021 में, दूसरा अप्रैल 2022 में और तीसरा अक्टूबर 2023 में प्राप्त हुआ था। 'सुदर्शन चक्र' के नाम से पुनः नामित इस S-400 प्रणाली की मारक क्षमता 380 किलोमीटर तक है, जो दुश्मन के स्ट्रैटेजिक बॉम्बर्स, जेट, जासूसी विमानों, मिसाइलों और ड्रोन को नष्ट कर सकती है। यह प्रणाली एक साथ कई लक्ष्यों को विभिन्न दूरी और ऊंचाई पर निशाना बना सकती है।


रूस-यूक्रेन संघर्ष का प्रभाव

रूस-यूक्रेन संघर्ष से डिलीवरी में देरी

एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार ने बताया था कि यह अधिग्रहण 2023 तक पूरा होना था, लेकिन रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण आपूर्ति श्रृंखला और उत्पादन में बाधा आई, जिससे डिलीवरी में देरी हुई। रक्षा मंत्रालय ने 2021 में कहा था, "S-400 मिसाइल एक शक्तिशाली प्रणाली है, जो व्यापक क्षेत्र में निरंतर और प्रभावी वायु रक्षा प्रदान करने में सक्षम है। इस प्रणाली के शामिल होने से देश की एयर डिफेंस क्षमताओं में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।"


S-400 की तकनीकी विशेषताएं

जानिए S-400 की तकनीकी विशेषताएं!

S-400 प्रणाली में तीन मुख्य घटक शामिल हैं: मिसाइल लॉन्चर, शक्तिशाली रडार और कमांड सेंटर। यह प्रणाली हाई-स्पीड मध्यवर्ती रेंज की बैलिस्टिक मिसाइलों को भी निशाना बना सकती है, जिसे नाटो देश इसके प्रभावशाली लंबी दूरी की क्षमताओं के कारण एक बड़ा खतरा मानते हैं, क्योंकि यह लगभग सभी आधुनिक युद्धक विमानों को निशाना बना सकती है।