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भारत-चीन के बीच सीधी उड़ानों की बहाली: व्यापार और पर्यटन को मिलेगी नई गति

भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानों की बहाली एक महत्वपूर्ण कदम है, जो व्यापार और पर्यटन को नई गति प्रदान करेगा। कोविड-19 महामारी और गलवान घाटी में झड़पों के बाद से यह उड़ानें बंद थीं। अब, सरकार ने एयरलाइंस को निर्देश दिया है कि वे तुरंत उड़ानें शुरू करने के लिए तैयार रहें। इस निर्णय से न केवल समय और पैसे की बचत होगी, बल्कि दोनों देशों के बीच विश्वास का माहौल भी मजबूत होगा। जानें इस फैसले के पीछे के कारण और संभावित लाभ।
 

अंतरराष्ट्रीय समाचार

अंतरराष्ट्रीय समाचार: भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानें 2020 की शुरुआत में कोविड-19 महामारी और गलवान घाटी में हुई सैन्य झड़पों के कारण बंद कर दी गई थीं। तब से, दोनों देशों के बीच यात्रा केवल तृतीय देशों जैसे सिंगापुर, बैंकॉक, दुबई या हांगकांग के माध्यम से संभव थी। इस लंबे अंतराल में न केवल व्यापारिक संबंध प्रभावित हुए, बल्कि पर्यटन और आपसी मुलाकातों में भी भारी कमी आई। अब इस रोक को हटाना दोनों देशों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।


सरकार का एयरलाइंस को निर्देश

सरकार ने एयर इंडिया और इंडिगो जैसी प्रमुख एयरलाइंस को निर्देश दिया है कि वे कम समय में चीन के लिए सीधी उड़ानें शुरू करने के लिए तैयार रहें। यह घोषणा अगस्त के अंत में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के दौरान की जा सकती है। इसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच व्यापार, पर्यटन और लोगों की आवाजाही को सुगम बनाना है।


रिश्तों में सुधार का संकेत

सीधी उड़ानों की बहाली को भारत-चीन संबंधों में सुधार और विश्वास बढ़ाने के संकेत के रूप में देखा जा रहा है। गलवान झड़प के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया था, और भारत ने कई कठोर कदम उठाए थे, जिनमें 59 चीनी मोबाइल ऐप्स पर प्रतिबंध भी शामिल था। लेकिन हाल के महीनों में कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली और जलविज्ञान डेटा साझा करने जैसे मुद्दों पर प्रगति हुई है।


उड़ानों का पुराना दौर

2019 में भारत और चीन के बीच उड़ानें लगभग पूरी क्षमता से संचालित हो रही थीं। उस समय, चीन की एयरलाइंस जैसे चाइना सदर्न और चाइना ईस्टर्न ने बड़ा बाजार हिस्सा हासिल किया था। भारतीय एयरलाइंस, जैसे एयर इंडिया और इंडिगो, भी इस रूट पर सक्रिय थीं। इंडिगो ने दिल्ली-चेंगदू और कोलकाता-ग्वांगझोउ जैसी सेवाएं शुरू की थीं, जो यात्रियों के बीच काफी लोकप्रिय थीं।


चुनौतियाँ अभी भी मौजूद हैं

उद्योग के सूत्रों के अनुसार, उड़ानें बहाल करने से पहले कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों को हल करना होगा। इनमें हवाई किराए का नियमन, स्लॉट आवंटन और ग्राउंड हैंडलिंग कॉन्ट्रैक्ट शामिल हैं। भारत चाहता है कि उसकी एयरलाइंस को मांग के अनुसार किराया तय करने की पूरी स्वतंत्रता मिले, जबकि चीन की लो-कॉस्ट एयरलाइंस के भारतीय बाजार में प्रवेश पर भी बातचीत चल रही है।


व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा

विशेषज्ञों का मानना है कि इस निर्णय से न केवल व्यापार में तेजी आएगी, बल्कि पर्यटन को भी नई गति मिलेगी। दोनों देशों के व्यापारी, छात्र और पर्यटक बिना किसी तीसरे देश के झंझट के सीधे यात्रा कर सकेंगे। इससे समय और पैसे की बचत होगी और विश्वास का माहौल भी मजबूत होगा।


मुल्कों के रिश्तों में नई उड़ान

भारत-चीन के रिश्तों में जहां पहले तनाव था, वहीं अब यह कदम दोनों पक्षों से विश्वास बढ़ाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, यह स्पष्ट है कि केवल उड़ानों का शुरू होना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि रिश्तों में स्थायी सुधार के लिए निरंतर संवाद और ईमानदारी भी आवश्यक होगी।