भारत-चीन सीमा पर तनाव कम करने के लिए बातचीत का सिलसिला जारी
भारत और चीन के बीच बातचीत का महत्व
भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव को कम करने के लिए पिछले एक वर्ष में लगातार संवाद का सिलसिला जारी रहा है। सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी के अनुसार, दोनों देशों की सीमा गार्डिंग टुकड़ियों के बीच लगभग 1100 बार बातचीत हुई, जिसमें प्रतिदिन औसतन तीन बार संवाद शामिल था।
बातचीत से मिली सफलता
जनरल द्विवेदी ने कहा कि राजनीतिक नेतृत्व के बीच संवाद और 2024 में हुए समझौतों के बाद स्थिति में सुधार हुआ है। इन प्रयासों ने जमीनी मुद्दों को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
एक साल में 1100 बार बातचीत
सेना प्रमुख ने बताया कि नियमित संवाद ने सीमा पर तैनात सैनिकों को स्थानीय मुद्दों के समाधान में सहायता की। यह बातचीत अब केवल कोर कमांडर स्तर तक सीमित नहीं रही, बल्कि बटालियन और कंपनी स्तर तक बढ़ाई गई है, जिससे समस्याओं का त्वरित समाधान संभव हो सका है। यह सहयोग 3488 किलोमीटर लंबी LAC के विभिन्न संवेदनशील क्षेत्रों में लागू हुआ है।
गश्त पर समझौते से मिली सफलता
अक्टूबर 2024 में देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों में गश्त व्यवस्था पर भारत-चीन ने एक महत्वपूर्ण समझौता किया। इसके तहत दोनों देशों ने पारंपरिक गश्त और चराई की गतिविधियों को फिर से शुरू करने पर सहमति जताई है। यह समझौता लागू हो चुका है और इसके बाद तनाव में कमी आई है।
उच्च-स्तरीय बैठकें और प्रगति
समझौते के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग पिछले एक वर्ष में दो बार मिल चुके हैं। विदेश मंत्री एस. जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी अपने चीनी समकक्षों से संवाद जारी रखा है। जनरल द्विवेदी के अनुसार, स्पष्ट राजनीतिक दिशा ने जमीनी स्तर पर संवाद को और प्रभावी बनाया है।
चाणक्य डिफेंस डायलॉग से पहले सेना प्रमुख का बयान
चाणक्य डिफेंस डायलॉग से एक दिन पहले जनरल द्विवेदी ने कहा कि अक्टूबर 2024 के बाद से संबंधों में काफी सुधार हुआ है। उन्होंने कहा, "अगर राजनीतिक दिशा स्पष्ट हो, तो इसका लाभ सभी को मिलता है।" भारतीय सेना ने इन बातचीतों के माध्यम से सीमा पर स्थिरता बढ़ाने का प्रयास जारी रखा है।
ऑपरेशन सिंदूर पर जनरल द्विवेदी का बयान
पाकिस्तान के संदर्भ में जनरल द्विवेदी ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर केवल "ट्रेलर" था जो 88 घंटे चला। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि पाकिस्तान ने दोबारा मौका दिया, तो भारत जिम्मेदार पड़ोसी बनने का सबक सिखाएगा।
भारत-चीन संबंधों पर जनरल द्विवेदी का बयान
उन्होंने यह भी संकेत दिया कि भारत आतंकवाद और उसके समर्थकों को एक ही नजर से देखता है और उचित जवाब देता रहेगा।