भारत द्वारा बांग्लादेशी अवैध प्रवासियों का निर्वासन, ढाका की प्रतिक्रिया
भारत ने अवैध बांग्लादेशी नागरिकों को उनके देश भेजने की प्रक्रिया शुरू की है, जिससे बांग्लादेश में हलचल मच गई है। बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार ने भारत पर आरोप लगाया है कि वह बिना उचित प्रक्रिया के लोगों को जबरन बांग्लादेश भेज रहा है। इस मुद्दे पर ढाका नई दिल्ली को एक राजनयिक पत्र भेजने की योजना बना रहा है। भारत ने बांग्लादेश को उन व्यक्तियों की सूची सौंपी है जिन्हें वह बांग्लादेशी नागरिक मानता है। जानें इस विवाद की पूरी कहानी और दोनों देशों के बीच के संबंधों पर इसके प्रभाव।
Jun 4, 2025, 11:47 IST
भारत का अवैध बांग्लादेशियों का निर्वासन अभियान
भारत ने अवैध बांग्लादेशी नागरिकों को पकड़कर उन्हें उनके देश भेजने की प्रक्रिया शुरू की है, जिससे बांग्लादेश में हलचल मच गई है। बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन ने भारत पर आरोप लगाया है कि वह बिना उचित प्रक्रिया के लोगों को विदेशी घोषित कर उन्हें जबरन बांग्लादेश भेज रहा है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर ढाका नई दिल्ली को एक राजनयिक पत्र भेजने की योजना बना रहा है। तौहीद ने स्पष्ट किया, “निर्वासन प्रक्रिया के तहत हर मामले की व्यक्तिगत समीक्षा की जा रही है, और केवल सत्यापित नागरिकों को ही वापस लिया जा रहा है, लेकिन भारत सीमापार जबरन धकेलने का सहारा ले रहा है।” उन्होंने यह भी कहा, “हम एक नया, ठोस पत्र भेजेंगे। हम देख रहे हैं कि जबरन धकेलने की घटनाएं अभी भी हो रही हैं। लेकिन यह कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे हम शारीरिक रूप से रोक सकें।”
भारत ने बांग्लादेश को उन व्यक्तियों की सूची सौंपी है जिन्हें वह बांग्लादेशी नागरिक मानता है। तौहीद के अनुसार, ढाका ने सत्यापन के बाद उनमें से कुछ को स्वीकार कर लिया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि वाणिज्यिक मामलों को सुलझाने के लिए एक औपचारिक तंत्र मौजूद है और बांग्लादेश यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा है कि सभी कार्रवाइयाँ प्रक्रिया के अनुसार हों। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश भारत के साथ नियमित संपर्क में है।
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22 अप्रैल को पहलगाम हमले के बाद भारत ने राष्ट्रव्यापी सत्यापन अभियान शुरू किया और 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत इसे तेज किया। इस प्रक्रिया के तहत हजारों बांग्लादेशियों को उनके देश वापस भेजा गया है, और बड़ी संख्या में बांग्लादेशी स्वयं भी लौट रहे हैं। इन अवैध प्रवासियों को वायुसेना के विमानों द्वारा विभिन्न स्थानों से सीमा के पास लाकर BSF को सौंपा जाता है। वहां उन्हें अस्थायी शिविरों में रखा जाता है, जहां उन्हें भोजन और आवश्यकता पड़ने पर कुछ बांग्लादेशी मुद्रा दी जाती है, और फिर कुछ घंटों बाद उन्हें उनके देश में “वापस धकेल” दिया जाता है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे बांग्लादेश और म्यांमार से आए संदिग्ध अवैध प्रवासियों की पहचान और दस्तावेजों का सत्यापन 30 दिनों के भीतर पूरा करें। यदि इस अवधि में दस्तावेजों का सत्यापन नहीं हो पाता, तो ऐसे व्यक्तियों को निर्वासित किया जाएगा। गृह मंत्रालय ने पिछले महीने की 19 तारीख को जारी निर्देशों में कहा था कि राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को अपने वैधानिक अधिकारों का उपयोग कर अवैध प्रवासियों की पहचान करनी चाहिए, उन्हें चिन्हित करना चाहिए और निर्वासित करना चाहिए। साथ ही, जिला स्तर पर पर्याप्त संख्या में हिरासत केंद्र स्थापित करने को भी कहा गया है, जहां निर्वासन की प्रक्रिया पूरी होने तक ऐसे व्यक्तियों को रखा जा सके। ये निर्देश केंद्र सरकार द्वारा बांग्लादेश और म्यांमार से आए अवैध प्रवासियों के खिलाफ शुरू किए गए नए अभियान का हिस्सा हैं। इन निर्देशों की प्रति सीमा सुरक्षा बल (BSF) और असम राइफल्स के महानिदेशकों को भी भेजी गई है।
इस साल फरवरी में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या प्रवासियों को देश में प्रवेश दिलाने, दस्तावेज़ बनवाने और उन्हें टिकाए रखने में मदद करने वाले किसी भी नेटवर्क के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने कहा था, "अवैध घुसपैठियों का मुद्दा राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है और इसे सख्ती से निपटाया जाना चाहिए। इन्हें चिन्हित कर निर्वासित किया जाना चाहिए।"