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भारत ने K-4 परमाणु मिसाइल का सफल परीक्षण किया, समुद्री न्यूक्लियर ट्रायड को मजबूती मिली

भारत ने 23 दिसंबर 2025 को एक गोपनीय पनडुब्बी-प्रक्षेपित बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया। यह परीक्षण बंगाल की खाड़ी में किया गया और इससे भारत की समुद्री न्यूक्लियर ट्रायड को मजबूती मिली है। के-4 मिसाइल की मारक क्षमता 3,500 किलोमीटर है और यह दुश्मन के पहले परमाणु हमले के बाद भी प्रभावी जवाबी कार्रवाई की क्षमता प्रदान करती है। जानें इस परीक्षण के पीछे की रणनीति और तकनीकी विशेषताएँ।
 

भारत का महत्वपूर्ण मिसाइल परीक्षण

नई दिल्ली: भारत ने 23 दिसंबर 2025 को एक गोपनीय पनडुब्बी-प्रक्षेपित बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM) का सफल परीक्षण किया। यह परीक्षण बंगाल की खाड़ी में संपन्न हुआ। जानकारी के अनुसार, यह परमाणु-सक्षम के-4 मिसाइल का परीक्षण था, जिसे अरिहंत-क्लास परमाणु पनडुब्बी से लॉन्च किया गया।


इस महत्वपूर्ण परीक्षण के बारे में पहले से कोई आधिकारिक सूचना नहीं दी गई थी। इसके साथ ही, NOTAM (नोटिस टू एयरमेन) भी जारी नहीं किया गया, ताकि गोपनीयता बनी रहे। ऐसा माना जा रहा है कि यह कदम इसलिए उठाया गया क्योंकि परीक्षण क्षेत्र के आसपास चीनी निगरानी जहाजों की उपस्थिति की आशंका थी।


रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यह सफल परीक्षण भारत की समुद्र आधारित न्यूक्लियर ट्रायड को और अधिक मजबूत बनाता है। इससे भारत की ‘सेकंड स्ट्राइक’ क्षमता में वृद्धि होती है, जिसका अर्थ है कि दुश्मन के पहले परमाणु हमले के बाद भी प्रभावी जवाबी कार्रवाई की जा सकती है। के-4 मिसाइल स्वदेशी के-सीरीज की उन्नत बैलिस्टिक मिसाइल है, जिसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने विकसित किया है। इसे विशेष रूप से अरिहंत-क्लास परमाणु पनडुब्बियों के लिए डिजाइन किया गया है।


इस मिसाइल की मारक क्षमता लगभग 3,500 किलोमीटर है। इसकी लंबाई लगभग 12 मीटर और व्यास लगभग 1.3 मीटर है। मिसाइल का वजन 17 से 20 टन के बीच है, और यह लगभग 2 टन तक का पेलोड ले जाने में सक्षम है।


के-4 मिसाइल में पानी के नीचे से लॉन्च करने की कोल्ड लॉन्च तकनीक शामिल है। इसके अलावा, यह 3डी मैन्यूवर करने में सक्षम है और बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम को चकमा देने की क्षमता भी रखती है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि के-4 मिसाइल का यह सफल परीक्षण भारत की रणनीतिक ताकत और आत्मनिर्भर रक्षा क्षमताओं का स्पष्ट संकेत है।