भारत ने अफगानिस्तान में दूतावास का दर्जा बढ़ाया, तालिबान के साथ संबंधों में नया मोड़
भारत-अफगानिस्तान संबंधों में नया अध्याय
भारत-अफगानिस्तान संबंध: भारत ने मंगलवार को काबुल में अपने तकनीकी मिशन को पूर्ण दूतावास का दर्जा देकर अफगानिस्तान में अपनी राजनयिक उपस्थिति को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाया है। यह कदम तालिबान शासन के साथ भारत के संबंधों में एक महत्वपूर्ण बदलाव के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, भारत ने अभी तक तालिबान सरकार को औपचारिक मान्यता नहीं दी है, लेकिन यह निर्णय दोनों देशों के बीच बढ़ते संपर्कों का संकेत है।
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि अफगानिस्तान के विदेश मंत्री की हालिया यात्रा के दौरान लिए गए निर्णय के आधार पर, भारत ने काबुल में अपने तकनीकी मिशन को दूतावास के रूप में बहाल करने का निर्णय लिया है। मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि यह निर्णय द्विपक्षीय संबंधों को गहरा करने की भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
दूतावास का नेतृत्व वरिष्ठ राजनयिक करेंगे
बयान के अनुसार, काबुल में स्थित दूतावास अफगानिस्तान के विकास, मानवीय सहायता और क्षमता निर्माण से संबंधित पहलों में भारत के योगदान को और मजबूत करेगा। दूतावास का नेतृत्व एक वरिष्ठ राजनयिक करेंगे, जिन्हें चार्ज डी'एफेयर का दर्जा दिया जाएगा। वर्तमान में, तालिबान को औपचारिक मान्यता न मिलने के कारण किसी राजदूत की नियुक्ति की संभावना नहीं है।
यह ध्यान देने योग्य है कि अगस्त 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद, भारत ने सुरक्षा कारणों से अपने सभी राजनयिकों को वापस बुला लिया था और सभी मिशन बंद कर दिए थे। जून 2022 में, भारत ने एक मध्यम श्रेणी के अधिकारी के नेतृत्व में तकनीकी टीम भेजकर सीमित रूप से अपनी उपस्थिति को फिर से स्थापित किया था।
तालिबान के विदेश मंत्री की भारत यात्रा
तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी: भारत का यह कदम तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी की हालिया भारत यात्रा के बाद आया है। मुत्ताकी ने 9 से 15 अक्टूबर के बीच नई दिल्ली का दौरा किया, जो तालिबान शासन के किसी वरिष्ठ सदस्य की पहली भारत यात्रा थी। इस दौरान उनकी विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात हुई, जिन्होंने काबुल में भारत की राजनयिक भूमिका को बढ़ाने की बात की थी।
यात्रा के बाद, मुत्ताकी ने कहा कि अफगानिस्तान, भारत के साथ संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए नई दिल्ली स्थित दूतावास में अपने राजनयिक भेजेगा। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि अफगानिस्तान की धरती का उपयोग किसी भी देश के खिलाफ नहीं होने दिया जाएगा। अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच हाल के तनावपूर्ण संबंधों के संदर्भ में, भारत का यह निर्णय दक्षिण एशिया की कूटनीति में नई दिशा तय कर सकता है।