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भारत ने अमेरिका को दिया करारा जवाब, फॉरेक्स रिजर्व पर जताई आपत्ति

भारत ने अमेरिका के फॉरेक्स रिजर्व पर उठाए गए सवालों का करारा जवाब दिया है। पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने अमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट के बयानों पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। जानें कैसे भारत ने अमेरिका की धमकियों का सामना किया और क्या है इस विवाद की पूरी कहानी।
 

भारत का अमेरिका को स्पष्ट संदेश

अमेरिका की एक पुरानी कहावत है, 'जितनी बड़ी मछली, उतना गहरा जाल', जो इस समय भारत और अमेरिका के संबंधों पर पूरी तरह से लागू होती है। अमेरिका हमेशा से दुनिया को अपने जाल में फंसाने की कोशिश करता रहा है, लेकिन भारत ने हर बार उसे चुनौती दी है। हाल ही में, अमेरिका के व्हाइट हाउस के सलाहकार पीटर नवारो ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को अपने अमेरिकी डॉलर के भंडार का उपयोग अमेरिका की अनुमति से करना चाहिए, खासकर रूस से तेल खरीदने के मामले में। इस बार भारत ने चुप्पी साधने के बजाय एक सशक्त प्रतिक्रिया दी है। पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने अमेरिका को ऐसा जवाब दिया कि वाशिंगटन में हलचल मच गई।


पीटर नवारो का विवादास्पद लेख

पीटर नवारो ने हाल ही में एक प्रमुख समाचार पत्र में एक लेख लिखा, जिसमें उन्होंने भारत को निशाना बनाया। उनका दावा था कि अमेरिका का भारत के साथ 40 मिलियन डॉलर का व्यापार अधिशेष है, जो आरबीआई के विदेशी भंडार में जमा है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत को इस डॉलर का उपयोग केवल अमेरिका के हित में करना चाहिए। यह पहली बार नहीं है जब अमेरिका ने किसी देश को इस तरह से निर्देशित करने की कोशिश की है। 1960-70 के दशक में, अमेरिका ने जर्मनी को भी इसी तरह की सलाह दी थी।


अमेरिका की पुरानी रणनीति का पुनरुत्थान

अमेरिका अब वही पुरानी रणनीति भारत पर लागू करना चाहता है। अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने एक साक्षात्कार में कहा कि रूस से चीन की तेल निर्भरता भारत की तुलना में थोड़ी बढ़ी है। उन्होंने कहा कि चीन का तेल आयात पहले से ही रूस से आ रहा था और अब यह बढ़कर 16% हो गया है।


कंवल सिब्बल की तीखी प्रतिक्रिया

पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने सोशल मीडिया पर बेसेंट के बयानों पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि बेसेंट भारत के साथ तनाव बढ़ाने में सक्रिय रूप से योगदान दे रहे हैं और यह भी कि चीन की रूस से तेल पर निर्भरता उनके दावों के विपरीत है। सिब्बल ने यह भी बताया कि गज़प्रोम द्वारा संचालित पाइपलाइन चीन के लिए गैस का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।