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भारत ने फलस्तीनी राष्ट्रपति के संबोधन के लिए UN प्रस्ताव का समर्थन किया

भारत ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव का समर्थन किया, जो फलस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संबोधित करने की अनुमति देता है। अमेरिका द्वारा फलस्तीनी अधिकारियों को वीजा देने से इनकार करने के बावजूद, 145 देशों ने इस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। यह प्रस्ताव फलस्तीनी प्रतिनिधियों को UN की बैठकों में भाग लेने से रोकने के निर्णय पर खेद व्यक्त करता है। महासभा का 80वां सत्र 23 सितंबर से शुरू होगा, जिसमें अब्बास 25 सितंबर को विश्व नेताओं को संबोधित करेंगे।
 

भारत का समर्थन

भारत ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के उस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जो फलस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए आगामी उच्च स्तरीय सत्र में संबोधित करने की अनुमति देता है।


इससे पहले, अमेरिका ने फलस्तीनी अधिकारियों को वीजा देने से मना कर दिया था, जिसके कारण वे सत्र में व्यक्तिगत रूप से भाग नहीं ले पाएंगे।


संयुक्त राष्ट्र की 193 सदस्यीय महासभा ने अपने 80वें सत्र में 'फलस्तीन राष्ट्र की भागीदारी' शीर्षक से एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें 145 देशों ने समर्थन में वोट दिया, जबकि पांच देशों ने विरोध किया और छह देशों ने मतदान में भाग नहीं लिया।


अमेरिका और इजराइल ने इस प्रस्ताव का विरोध किया, जबकि भारत उन देशों में शामिल था जिन्होंने इसका समर्थन किया।


प्रस्ताव में अमेरिका द्वारा फलस्तीनी प्रतिनिधियों को वीजा देने से इनकार करने और उनके वीजा रद्द करने के निर्णय पर खेद व्यक्त किया गया, जिससे उन्हें संयुक्त राष्ट्र की बैठकों में भाग लेने से प्रभावी रूप से रोका गया।


संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र की आम बहस 23 सितंबर से शुरू होगी, जिसमें फलस्तीनी राष्ट्राध्यक्ष 25 सितंबर को विश्व नेताओं को संबोधित करेंगे।