भारत-पाक विभाजन की कहानी: बुलाकी बुआ की मानवता की मिसाल
एक अविस्मरणीय अध्याय
भारत और पाकिस्तान के विभाजन के समय लाखों परिवारों का जीवन बर्बाद हुआ, लेकिन इस दौरान कई मानवता की कहानियाँ भी सामने आईं। हरियाणा के हिसार शहर की एक हिंदू महिला, जिन्हें 'बुलाकी बुआ' के नाम से जाना जाता है, ने पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर इंजमाम-उल-हक के परिवार को विभाजन के समय बचाकर एक अद्भुत उदाहरण पेश किया। यह कहानी केवल दो देशों की सीमाओं को नहीं, बल्कि मानवता के प्रेम और भाईचारे को भी दर्शाती है।1947 में भारत के विभाजन के समय लाखों लोग अपने घरों को छोड़ने के लिए मजबूर हुए। इस कठिन समय में, धार्मिक और सामुदायिक नफरत अपने चरम पर थी। ऐसे में, हिसार की बुलाकी बुआ ने इंजमाम-उल-हक के परिवार के लिए देवदूत की भूमिका निभाई।
जब इंजमाम का परिवार पाकिस्तान जाने की तैयारी कर रहा था, तब सांप्रदायिक हिंसा का माहौल था। बुलाकी बुआ, जो एक हिंदू परिवार से थीं, ने अपनी जान जोखिम में डालकर इंजमाम के परिवार को सुरक्षित निकाला। उन्होंने उन्हें अपने घर में छिपाया, भोजन और सुरक्षा प्रदान की, और पाकिस्तान के लिए सुरक्षित रास्ता खोजने में मदद की। यह कार्य उस समय साहसिक और दुर्लभ था।
इंजमाम-उल-हक का परिवार आज भी बुलाकी बुआ के प्रति आभार व्यक्त करता है। यह कहानी बताती है कि मानव प्रेम और दया धार्मिक मतभेदों से ऊपर उठकर काम कर सकती है। यह विभाजन के समय की उन अनगिनत कहानियों में से एक है जो हमें सिखाती हैं कि मानवता सबसे बड़ा धर्म है।
हिसार की बुलाकी बुआ आज भी उन लोगों के लिए प्रेरणा हैं जो सांप्रदायिक सद्भाव और मानवता में विश्वास रखते हैं। उनकी निस्वार्थ सेवा और साहस विभाजन के इतिहास में एक उज्ज्वल प्रकाश की तरह है, जो हमें याद दिलाता है कि अच्छे लोग हर समुदाय में मौजूद हैं और वे मुश्किल समय में एक-दूसरे का सहारा बनते हैं।