भारत-पाकिस्तान विवाद: शहबाज शरीफ के झूठे दावों का पर्दाफाश
भारत-पाकिस्तान विवाद पर शहबाज शरीफ के आरोप
भारत-पाकिस्तान विवाद: ऑपरेशन सिंदूर में भारत की सैन्य उपलब्धियों के बाद, पाकिस्तान ने फिर से गलत जानकारी फैलाने का प्रयास किया है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र में भारत पर आरोप लगाते हुए तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया। उन्होंने भारतीय वायुसेना के खिलाफ झूठे दावे किए और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को शांति का प्रतीक बताकर युद्ध टालने का श्रेय भी उन्हें दिया।
शहबाज शरीफ का पहला झूठ
शहबाज शरीफ ने यूएन में कहा कि मई में चार दिनों तक चले संघर्ष के दौरान भारत के सात विमान नष्ट हुए। यह दावा पूरी तरह से गलत है। भारत ने इस झूठ का खंडन किया और वास्तविकता को दुनिया के सामने रखा। असल में, 7 मई को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के जवाब में ऑपरेशन सिंदूर शुरू हुआ। भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया। एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह के अनुसार, इस अभियान में भारतीय विमानों ने पांच पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों और एक बड़े विमान को नष्ट किया।
झूठ नंबर दो
यूएन में शहबाज शरीफ ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनके शांति प्रयासों ने दक्षिण एशिया में युद्ध को टालने में मदद की। उन्होंने ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित करने का सुझाव भी दिया। शरीफ के अनुसार, यह एक उचित कदम होगा, क्योंकि वह सच में शांति के प्रतीक हैं।
हालांकि, ट्रंप ने खुद कई बार कहा है कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच संभावित परमाणु युद्ध को टालने में भूमिका निभाई। लेकिन भारत का कहना है कि संघर्ष रोकने का निर्णय पाकिस्तान के डीजीएमओ के अनुरोध पर दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों की बैठक के बाद लिया गया था, न कि किसी एक व्यक्ति के प्रयास से।
झूठ नंबर 3
पाकिस्तान ने इस बार भी कश्मीर का मुद्दा उठाया। शहबाज शरीफ ने संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में निष्पक्ष जनमत संग्रह कराने की बात दोहराई। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान सभी लंबित विवादों पर भारत के साथ समग्र, व्यापक और परिणामोन्मुखी वार्ता के लिए तैयार है। हालांकि, भारत का स्पष्ट रुख है कि कश्मीर का मुद्दा द्विपक्षीय है और इसमें किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं हो सकती। इस दृष्टिकोण का कई देशों ने समर्थन भी किया है।