भारत बंद 2025: मजदूरों और किसानों की आवाज़, क्या होगा असर?
भारत बंद का आह्वान
केंद्र सरकार की कथित "मजदूर-विरोधी और किसान-विरोधी" नीतियों के खिलाफ 9 जुलाई 2025 को देशभर में भारत बंद का आयोजन किया गया है। इस बंद का आह्वान 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच द्वारा किया गया है, जिसमें विभिन्न औद्योगिक और सार्वजनिक क्षेत्र की यूनियनें शामिल हैं।
बंद का प्रभाव
यह हड़ताल विशेष रूप से विधानसभा चुनावों वाले राज्यों, जैसे बिहार में, महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती है। इसके अलावा, गैर-भाजपा शासित राज्यों जैसे केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और पंजाब में भी बंद का व्यापक असर देखने को मिल सकता है।
किस क्षेत्रों में होगा असर
इस हड़ताल में बैंकिंग, बीमा, डाक सेवाएं, कोयला खनन, स्टील, परिवहन और बिजली जैसे कई क्षेत्रों के लगभग 25 करोड़ कर्मचारी शामिल हो सकते हैं। इन क्षेत्रों के ठप होने से आम जनजीवन पर गहरा प्रभाव पड़ने की संभावना है।
हालांकि, भारतीय रेलवे की यूनियनें इस बंद में औपचारिक रूप से शामिल नहीं हैं, लेकिन प्रदर्शनकारी रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों को बाधित कर सकते हैं। इसी तरह, सार्वजनिक और निजी बस सेवाएं, टैक्सी और ऐप-बेस्ड कैब सेवाएं भी प्रभावित हो सकती हैं, जिससे दैनिक यात्रियों को कठिनाई हो सकती है।
शैक्षणिक संस्थानों पर असर
देश के अधिकांश हिस्सों में स्कूल और कॉलेज सामान्य रूप से खुले रहने की संभावना है। हालांकि, कुछ स्थानीय प्रशासन सुरक्षा कारणों से संस्थानों को बंद करने का निर्णय ले सकते हैं।
बंद के पीछे के कारण
संयुक्त ट्रेड यूनियनों का आरोप है कि केंद्र सरकार द्वारा श्रम कानूनों में किए गए बदलावों से कर्मचारियों की सुरक्षा और अधिकार कमजोर हुए हैं। इसके अलावा, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के निजीकरण, महंगाई, बेरोजगारी और किसानों की समस्याओं को लेकर भी असंतोष व्यक्त किया गया है।
यूनियनें चाहती हैं कि चारों नई श्रम संहिताओं को वापस लिया जाए और ठेकेदारी प्रथा को समाप्त कर स्थायी रोजगार की गारंटी दी जाए। इसके साथ ही, वे सार्वजनिक सेवाओं के निजीकरण पर रोक और न्यूनतम मजदूरी की कानूनी गारंटी की मांग कर रही हैं।
किसानों का समर्थन
भारत बंद को संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) समेत विभिन्न किसान संगठनों का समर्थन प्राप्त है। किसानों ने ग्रामीण क्षेत्रों में प्रदर्शन करने की योजना बनाई है, जिससे ग्रामीण परिवहन और बाजारों पर भी बंद का असर देखने को मिल सकता है।
नेताओं की प्रतिक्रिया
AITUC की महासचिव अमरजीत कौर ने बताया कि बंद में लगभग 25 करोड़ से अधिक मजदूरों की भागीदारी की संभावना है। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन देश के मेहनतकश वर्ग की आवाज़ है, जिसे लंबे समय से अनसुना किया जा रहा है।