भारत-भूटान रेलवे कनेक्टिविटी: नई दिशा में बढ़ता संबंध
भारत और भूटान के बीच रेलवे कनेक्टिविटी का नया अध्याय
भारत और भूटान के बीच लंबे समय से चले आ रहे संबंधों को अब एक नई दिशा मिल रही है। केंद्र सरकार ने दोनों देशों के बीच पहली बार रेलवे कनेक्टिविटी स्थापित करने की योजना को हरी झंडी दे दी है। यह कदम भूटान की अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने के साथ-साथ सांस्कृतिक और सुरक्षा संबंधों को भी नई ऊर्जा प्रदान करेगा.
नई पटरियों का निर्माण
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जानकारी दी कि इस परियोजना के तहत कोकराझार से गीलेफु तक लगभग 70 किलोमीटर नई रेल पटरियां बिछाई जाएंगी। यह रेल लाइन बोंगाईगांव, जो भारत का एक प्रमुख औद्योगिक केंद्र है, से सीधे जुड़ जाएगी। इसके माध्यम से भूटान को भारत के 1.5 लाख किलोमीटर लंबे रेलवे नेटवर्क तक सीधी पहुंच प्राप्त होगी.
गीलेफु और समतसे के विकास की संभावनाएं
यह परियोजना केवल यात्रा के लिए नहीं, बल्कि भूटान के दो महत्वपूर्ण शहरों को भारत से जोड़ने का एक साधन भी बनेगी। गीलेफु, जिसे 'माइंडफुलनेस सिटी' के रूप में विकसित किया जा रहा है, पर्यटन और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। वहीं, समतसे एक उभरता औद्योगिक शहर है। इन दोनों शहरों को भारतीय रेलवे नेटवर्क से जोड़ने से भूटान की आर्थिक और सामाजिक प्रगति को सीधा लाभ होगा.
भारत का निवेश
इस पूरे प्रोजेक्ट पर 4,033 करोड़ रुपये का खर्च भारत सरकार उठाएगी। मार्च 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूटान यात्रा के दौरान इस रेलवे कनेक्टिविटी पर सहमति बनी थी। अब भारत ने आधिकारिक कदम उठाकर भूटान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को और स्पष्ट कर दिया है.
द्विपक्षीय संबंधों में एक नया मील का पत्थर
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि भारत और भूटान का संबंध असाधारण विश्वास और सांस्कृतिक विरासत पर आधारित है। भारत न केवल भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, बल्कि उसका सबसे बड़ा विकास सहयोगी भी है। भूटान की 13वीं पंचवर्षीय योजना (2024-2029) के लिए भारत ने 10,000 करोड़ रुपये की सहायता देने का वादा किया है, जो पिछले योजना से दोगुना है। इस रेलवे कनेक्टिविटी के साथ दोनों देशों के संबंध और मजबूत होंगे.