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भारत में 2nm चिप्स का निर्माण: तकनीकी क्रांति की ओर एक कदम

भारत ने 2nm चिप्स के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, जिससे वह वैश्विक सेमीकंडक्टर हब बनने की ओर अग्रसर है। बेंगलुरु में एआरएम द्वारा स्थापित नए डिजाइन ऑफिस में इन चिप्स पर काम शुरू हो चुका है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस पहल की पुष्टि की है, जो भारत को तकनीकी क्षेत्र में एक नई ऊंचाई पर ले जाने का वादा करती है। जानें, ये चिप्स क्यों महत्वपूर्ण हैं और भारत के लिए उनका क्या महत्व है।
 

भारत की नई तकनीकी पहल

2nm Chip: भारत अब तकनीकी क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रहा है। बेंगलुरु में ब्रिटिश कंपनी एआरएम (ARM) ने एक नया डिजाइन ऑफिस खोला है, जो 2 नैनोमीटर (2nm) चिप्स पर कार्य करेगा। यह अत्याधुनिक तकनीक भारत को उन चुनिंदा देशों में शामिल कर देगी, जो इतनी छोटी और शक्तिशाली चिप्स का निर्माण कर सकते हैं। यह चिप भारत को वैश्विक सेमीकंडक्टर हब बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकती है। आइए, जानते हैं कि 2nm चिप क्या है और यह भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है।


भारत में चिप्स का निर्माण

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घोषणा की है कि भारत अब 2nm चिप्स के निर्माण की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। ये चिप्स न केवल भारत में निर्मित होंगी, बल्कि इनका डिजाइन भी यहीं किया जाएगा। बेंगलुरु में एआरएम का नया डिजाइन सेंटर 16 सितंबर को शुरू हुआ, जहां इन चिप्स पर काम प्रारंभ हो चुका है। इससे पहले, मई 2025 में नोएडा और बेंगलुरु में 3nm चिप डिजाइन सेंटर खोले गए थे। अब 2nm चिप्स के साथ, भारत तकनीकी क्षेत्र में एक नया मुकाम हासिल करने के लिए तैयार है।


2nm Chip: छोटी लेकिन शक्तिशाली

सेमीकंडक्टर चिप्स में लाखों ट्रांजिस्टर होते हैं, जो बिजली के प्रवाह को नियंत्रित करते हैं। ट्रांजिस्टर जितना छोटा होगा, चिप उतनी ही तेज और कम ऊर्जा खपत करने वाली होगी। 2nm तकनीक का अर्थ है कि ट्रांजिस्टर का आकार चावल के दाने से भी छोटा होगा। ये चिप्स स्मार्टफोन्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) उपकरणों और सुपरकंप्यूटरों में बेहतरीन प्रदर्शन करेंगी। पहले, ताइवान, दक्षिण कोरिया, अमेरिका, चीन और जापान इस तकनीक में आगे थे, लेकिन अब भारत भी इस दौड़ में शामिल हो गया है। वर्तमान में, फ्लैगशिप स्मार्टफोन्स जैसे iPhone और Samsung Galaxy में 3nm चिप्स का उपयोग हो रहा है, लेकिन अगले एक-दो वर्षों में 2nm चिप्स बाजार में छा सकती हैं।


भारत के लिए 2nm चिप्स का महत्व

2030 तक, वैश्विक सेमीकंडक्टर बाजार 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। भारत इसमें 100-110 अरब डॉलर का योगदान कर सकता है। 2nm चिप तकनीक ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्यों को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। यह भारत को वैश्विक चिप सप्लाई चेन में एक मजबूत खिलाड़ी बनाएगी। स्मार्टफोन्स से लेकर रक्षा और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी तक, हर क्षेत्र में इन चिप्स की मांग बढ़ेगी।


भारत की सेमीकंडक्टर क्रांति

भारत सरकार के इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन के तहत 6 राज्यों में 10 परियोजनाओं को मंजूरी मिल चुकी है। इनमें 1.6 लाख करोड़ रुपये का निवेश होगा, जिसमें 76,000 करोड़ रुपये की सरकारी सहायता शामिल है। पिछले 11 वर्षों में, भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण 6 गुना बढ़ चुका है। अब सरकार का ध्यान केवल असेंबली पर नहीं, बल्कि चिप्स के डिजाइन और निर्माण में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने पर है। यह कदम भारत को तकनीकी क्षेत्र में एक सुपरपावर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।