भारत में UPI सेवा में तकनीकी बाधा: करोड़ों उपभोक्ता प्रभावित
UPI सेवा में तकनीकी समस्या का सामना
गुरुवार को भारत में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) में एक गंभीर तकनीकी समस्या उत्पन्न हुई, जिसके कारण देशभर के लाखों उपभोक्ताओं को डिजिटल लेनदेन में कठिनाई का सामना करना पड़ा। यह 2025 में चौथी बार है जब यूपीआई नेटवर्क में ऐसी बाधा आई है।
ट्रांजेक्शन विफलता से यूजर्स की चिंता
इस समस्या का प्रभाव एचडीएफसी बैंक, भारतीय स्टेट बैंक (SBI), बैंक ऑफ बड़ौदा और कोटक महिंद्रा बैंक जैसे प्रमुख बैंकों के यूपीआई लेनदेन पर भी पड़ा। विशेष रूप से, गूगल पे, फोनपे और पेटीएम जैसे प्रमुख डिजिटल भुगतान ऐप्स पर ट्रांजेक्शन विफल होने की समस्या देखी गई।
शाम लगभग 7:45 बजे से सोशल मीडिया पर यूपीआई डाउन होने की शिकायतें आने लगीं। डाउनडिटेक्टर नामक वेबसाइट पर रात 8 बजे तक 2,100 से अधिक यूजर्स ने शिकायत दर्ज करवाई, जिनमें से लगभग 80% शिकायतें भुगतान विफलता से संबंधित थीं। डाउनडिटेक्टर एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जो ऑनलाइन सेवाओं की स्थिति पर नजर रखता है।
UPI की बढ़ती लोकप्रियता के बावजूद तकनीकी रुकावट
हालांकि यूपीआई में आई यह तकनीकी रुकावट चौंकाने वाली है, क्योंकि भारत में इसकी लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के अनुसार, जुलाई 2025 में UPI के माध्यम से लगभग 25.08 लाख करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ। मई 2025 में यह आंकड़ा 25.14 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया था। जुलाई में औसतन हर दिन 628 मिलियन ट्रांजेक्शन हुए, जिनकी कुल वैल्यू करीब 80,919 करोड़ रुपये रही।
जून 2025 में यूपीआई के जरिए कुल 18.4 अरब ट्रांजेक्शन किए गए और 24 लाख करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान हुआ। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने हाल ही में भारत को "फास्ट पेमेंट में वैश्विक अग्रणी" बताया है। इसकी मुख्य वजह यूपीआई सिस्टम है, जो आज 491 मिलियन उपभोक्ताओं और 65 मिलियन व्यापारियों को सेवा दे रहा है। वर्तमान में 675 से अधिक बैंक इस प्लेटफॉर्म से जुड़े हैं।