भारत में ऑनलाइन फूड डिलीवरी पर जीएसटी में बदलाव का प्रभाव
ऑनलाइन फूड डिलीवरी पर जीएसटी में बदलाव
ऑनलाइन फूड डिलीवरी टैक्स: भारत के वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) नियमों में हालिया संशोधन ने कई क्षेत्रों पर प्रभाव डाला है। ब्रोकरेज फर्म बर्नस्टीन की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, ये परिवर्तन ऑनलाइन फूड डिलीवरी प्लेटफार्मों और त्वरित सेवा रेस्तरां (क्यूएसआर) पर अलग-अलग प्रभाव डाल सकते हैं। जहां जोमैटो और स्विगी जैसे डिलीवरी ऐप्स को लागत में वृद्धि का सामना करना पड़ सकता है, वहीं डोमिनोज, मैकडॉनल्ड्स और बर्गर किंग जैसे क्यूएसआर को टैक्स में कटौती से लाभ मिलने की संभावना है.
नए जीएसटी नियमों के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स ऑपरेटरों (ईसीओ) के माध्यम से दी जाने वाली स्थानीय डिलीवरी सेवाओं पर 18% जीएसटी लागू होगा। पहले डिलीवरी शुल्क पर कोई कर नहीं लगता था, लेकिन अब यह शुल्क, जो प्लेटफार्म के राजस्व का 10-20% हिस्सा है, 18% जीएसटी के दायरे में आएगा। इसका अर्थ है कि ग्राहकों को उच्च डिलीवरी शुल्क का सामना करना पड़ सकता है, या रेस्तरां को कुछ लागत वहन करनी पड़ सकती है। हालांकि, प्लेटफार्म फीस, सर्ज प्राइसिंग और पैकेजिंग जैसे अन्य शुल्कों पर पहले से ही 18% कर लागू था, इसलिए उनमें कोई बदलाव नहीं होगा.
क्यूएसआर चेन को मिलेगी राहत
दूसरी ओर, डोमिनोज, मैकडॉनल्ड्स और बर्गर किंग जैसे क्यूएसआर को प्रमुख सामग्रियों जैसे पनीर, मक्खन, घी, मार्जरीन और सॉस पैकेजिंग सामग्री पर जीएसटी में कटौती से लाभ होगा। चूंकि ये रेस्तरां इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं उठा सकते, सामग्री पर लगने वाला कोई भी टैक्स सीधे उनके मुनाफे को प्रभावित करता है। कर दरों में कमी से इनकी लागत में तत्काल बचत होगी। बर्नस्टीन का अनुमान है कि इससे प्रमुख क्यूएसआर श्रृंखलाओं के लाभ मार्जिन में 70-80 आधार अंकों (0.7-0.8%) की वृद्धि हो सकती है, जबकि छोटे संगठित खिलाड़ियों को 20-40 आधार अंकों का लाभ मिल सकता है.
ग्राहकों को मिल सकता है लाभ
क्या ये बदलाव मेनू की कीमतों पर असर डालेंगे? विशेषज्ञों का मानना है कि क्यूएसआर चेन इस बचत का कुछ हिस्सा ग्राहकों तक पहुंचा सकती हैं। वे मेनू की कीमतें कम कर सकती हैं या आकर्षक ऑफर ला सकती हैं, खासकर यदि वे बिक्री बढ़ाने की रणनीति अपनाना चाहती हैं। वहीं, डिलीवरी प्लेटफार्मों के लिए यह सवाल बना हुआ है कि वे नए कर बोझ को कैसे संभालेंगे। वे या तो डिलीवरी शुल्क बढ़ा सकते हैं या रेस्तरां भागीदारों के साथ नए समझौते कर सकते हैं.
खाद्य उद्योग में बदलाव का दौर
जीएसटी नियमों में ये परिवर्तन भारत के तेजी से बढ़ते खाद्य वितरण और फास्ट-फूड उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ हैं। ऑनलाइन डिलीवरी प्लेटफार्मों के लिए लागत में वृद्धि चुनौतीपूर्ण हो सकती है, जबकि क्यूएसआर को लाभप्रदता में सुधार और संभावित रूप से ग्राहकों के लिए सस्ते दामों का लाभ मिल सकता है। यह बदलाव न केवल उद्योग की गतिशीलता को प्रभावित करेगा, बल्कि उपभोक्ताओं के खाने-पीने के अनुभव को भी नया आकार दे सकता है.