×

भारत में कार्बन बाजार की शुरुआत: जलवायु परिवर्तन से लड़ने का नया उपाय

भारत सरकार ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए एक नया कार्बन बाजार स्थापित करने की योजना बनाई है। यह पहल प्रदूषण को नियंत्रित करने और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। जानें कैसे यह बाजार काम करेगा और इसका उद्योगों पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
 

भारत का नया कार्बन बाजार

भारत सरकार ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाने की योजना बनाई है। देश में जल्द ही एक "कार्बन बाजार" की स्थापना होने जा रही है। इस पहल के लिए सरकार ने अपनी एक प्रमुख संस्था को और अधिक सशक्त बनाया है। आइए, इसे सरल भाषा में समझते हैं कि यह कार्बन बाजार क्या है और इसका हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा।


कार्बन बाजार का अर्थ समझने के लिए एक उदाहरण लेते हैं। मान लीजिए, सरकार ने दो फैक्ट्रियों (फैक्ट्री A और फैक्ट्री B) को एक वर्ष में 100 यूनिट प्रदूषण करने की अनुमति दी है। यह उनका "प्रदूषण का कोटा" है। फैक्ट्री A ने नई तकनीक का उपयोग करते हुए केवल 80 यूनिट प्रदूषण किया, जबकि फैक्ट्री B ने पुरानी मशीनों के कारण 120 यूनिट प्रदूषण किया।


यहां से कार्बन बाजार की प्रक्रिया शुरू होती है। फैक्ट्री A को उसके द्वारा बचाए गए 20 यूनिट प्रदूषण के लिए "कार्बन क्रेडिट" प्राप्त होंगे। दूसरी ओर, फैक्ट्री B को अधिक प्रदूषण करने के कारण जुर्माना देना होगा। जुर्माने से बचने के लिए, फैक्ट्री B को फैक्ट्री A से उसके बचाए हुए 20 यूनिट के "कार्बन क्रेडिट" खरीदने होंगे। इस प्रकार, एक बाजार का निर्माण होगा, जिससे फैक्ट्री A को नई तकनीक अपनाने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा और फैक्ट्री B पर प्रदूषण के लिए आर्थिक दबाव पड़ेगा।


इस नए कार्बन बाजार को संचालित करने के लिए एक प्रबंधक की आवश्यकता होगी। यह जिम्मेदारी सरकार की एक विश्वसनीय संस्था "ऊर्जा दक्षता ब्यूरो" (Bureau of Energy Efficiency - BEE) को सौंपी गई है। इस नई जिम्मेदारी को निभाने के लिए BEE की टीम में विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को शामिल किया जा रहा है।


भारत ने 2070 तक "नेट जीरो" का लक्ष्य हासिल करने का वादा किया है, जिसका अर्थ है कि हम उतना ही प्रदूषण करेंगे जितना हमारा पर्यावरण सहन कर सकता है। कार्बन बाजार इस लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।