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भारत में जनसंख्या वृद्धि की दर में गिरावट: क्या हैं इसके प्रभाव?

भारत में जनसंख्या वृद्धि की दर अब 'हम दो, हमारे दो' की नीति से भी कम हो गई है, जो देश की जनसंख्या संरचना और आर्थिक समीकरण पर प्रभाव डाल सकती है। विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, जन्म दर घटकर 1.98 रह गई है। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे अन्य देशों में भी जन्म दर में गिरावट आ रही है, इसके पीछे के कारण क्या हैं, और यह स्थिति भविष्य में क्या चुनौतियाँ उत्पन्न कर सकती है।
 

भारत की जनसंख्या वृद्धि की स्थिति

भारत की जनसंख्या: भारत में जनसंख्या वृद्धि की गति अब 'हम दो, हमारे दो' की नीति से भी कम हो गई है। विश्व बैंक के 2023 के आंकड़ों के अनुसार, देश में जन्म दर घटकर 1.98 रह गई है, जबकि किसी भी जनसंख्या को स्थिर बनाए रखने के लिए 2.1 का रिप्लेसमेंट स्तर आवश्यक माना जाता है। यह बदलाव दर्शाता है कि अब अधिकतर परिवार दो से कम बच्चों को प्राथमिकता दे रहे हैं। कई परिवार एक ही संतान पर रुकने या संतान न पैदा करने का निर्णय ले रहे हैं.


अन्य देशों की स्थिति

रिपोर्टों के अनुसार, पिछले कुछ दशकों में तेजी से बढ़ती जनसंख्या भारत के लिए एक गंभीर चिंता का विषय थी। आज भारत दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है, लेकिन जन्म दर में गिरावट आने वाले दशकों में जनसंख्या संरचना और आर्थिक समीकरण पर प्रभाव डाल सकती है.


दुनिया के अन्य देशों में जन्म दर

इन देशों में स्थिति गंभीर

दुनिया के कई बड़े देशों में स्थिति भारत से भी अधिक गंभीर है। दक्षिण कोरिया में जन्म दर केवल 0.72 है, यानी एक औसत दंपती एक बच्चा भी नहीं पैदा कर रहा। चीन में यह दर 1, जापान में 1.2, सिंगापुर में 0.97, अमेरिका में 1.62 और फ्रांस में 1.66 है। इन सभी देशों में जन्म दर रिप्लेसमेंट स्तर से काफी नीचे है। पूरी दुनिया का औसत 2.2 है, जो रिप्लेसमेंट स्तर से थोड़ा अधिक है. अफ्रीकी देशों और पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसे देशों में यह दर अभी भी अधिक बनी हुई है.


जन्म दर में गिरावट के कारण

जन्मदर में गिरावट के कारण

जन्म दर में गिरावट के पीछे औद्योगिकीकरण, शहरी जीवन की महंगाई, शिक्षा और स्वास्थ्य पर बढ़ते खर्च, तथा बदलती सामाजिक सोच जैसे प्रमुख कारण हैं। पहले कृषि आधारित अर्थव्यवस्था में अधिक श्रम शक्ति की आवश्यकता होती थी, लेकिन अब तकनीकी प्रगति और मशीनों के उपयोग से यह आवश्यकता कम हो गई है। वहीं, शहरी क्षेत्रों में लोग अपनी जीवनशैली से समझौता नहीं करना चाहते, जिससे वे बच्चों की संख्या सीमित रखते हैं.


जनसंख्या में कमी की समस्या

लगातार घट रही आबादी

जापान जैसे देशों में लगातार 16 वर्षों से जनसंख्या घट रही है। यहां मृत्यु दर, जन्म दर से अधिक हो चुकी है। श्रम शक्ति में कमी, वृद्ध आबादी का बढ़ता बोझ और आर्थिक चुनौतियां इन देशों के सामने बड़ी समस्या बन रही हैं। इसी कारण से कई देश बच्चे पैदा करने पर प्रोत्साहन राशि, टैक्स छूट और अन्य लाभ दे रहे हैं, लेकिन लोगों के रुझान में बड़ा बदलाव नहीं हो रहा.


महिलाओं की भूमिका

जन्मदर में कमी का अहम कारण

विशेषज्ञों का मानना है कि महिलाओं की शिक्षा, आर्थिक स्वतंत्रता और निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि भी जन्म दर में कमी का एक महत्वपूर्ण कारण है। महिलाएं अब परिवार नियोजन के फैसलों में बराबर की भागीदार हैं और करियर, जीवनशैली व स्वास्थ्य को प्राथमिकता दे रही हैं.


जन्म दर में कमी के सकारात्मक पहलू

इसके सकारात्मक पहलू

जन्म दर घटने के कुछ सकारात्मक पहलू भी हैं, जैसे कम जनसंख्या होने से बच्चों की जीवन गुणवत्ता में सुधार और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं। हालांकि, लंबे समय में यह रुझान श्रम शक्ति की कमी और आर्थिक विकास की गति पर चुनौती बन सकता है.