भारत में प्रत्यक्ष कर संग्रह में गिरावट, लेकिन सकल संग्रह में वृद्धि
प्रत्यक्ष कर संग्रह में कमी
प्रत्यक्ष कर संग्रह: भारत में शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह में कमी आई है। वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान अब तक शुद्ध संग्रह 4.59 लाख करोड़ रुपये रहा है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 1.39 प्रतिशत कम है। इसका मुख्य कारण अग्रिम कर संग्रह में सुस्ती है। हालांकि, इस वित्त वर्ष में सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 5.45 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 4.86 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
आयकर विभाग की रिपोर्ट
आयकर विभाग ने शनिवार को जानकारी दी कि वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत का सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 19 जून तक 4.86 प्रतिशत बढ़कर 5.45 लाख करोड़ रुपये हो गया है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में यह आंकड़ा 5.19 लाख करोड़ रुपये था। 01 अप्रैल से 19 जून 2025 के बीच अग्रिम कर संग्रह में केवल 3.87 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो 1.56 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया। पिछले वर्ष की तुलना में इस अवधि में अग्रिम कर संग्रह में 27 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
कॉर्पोरेट कर संग्रह में कमी
विभाग ने यह भी बताया कि 01 अप्रैल से 19 जून 2025 के दौरान कॉर्पोरेट कर संग्रह में लगभग 1.73 लाख करोड़ रुपये की कमी आई, जो पिछले वर्ष की तुलना में 5 प्रतिशत से अधिक है। वहीं, गैर-कॉर्पोरेट कर संग्रह, जिसमें मुख्य रूप से व्यक्तिगत आयकर शामिल है, में 0.7 प्रतिशत की मामूली वृद्धि हुई, जो 2.73 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई। इस अवधि में प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी) 12 प्रतिशत बढ़कर 13,013 करोड़ रुपये हो गया।
कुल संग्रह का विश्लेषण
कुल मिलाकर, 01 अप्रैल से 19 जून 2025 के दौरान शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 4.59 लाख करोड़ रुपये रहा, जो 2024 की इसी अवधि में संग्रहित 4.65 लाख करोड़ रुपये से 1.39 प्रतिशत कम है। चालू वित्त वर्ष 2025-26 में अब तक जारी रिफंड की राशि 58 प्रतिशत बढ़कर 86,385 करोड़ रुपये हो गई है। वित्त वर्ष 2025-26 के लिए प्रत्यक्ष कर (डीटी) संग्रह और अग्रिम कर संग्रह के आंकड़े 19 जून तक जारी किए गए हैं।