भारत में रूस से तेल आयात में गिरावट, अमेरिकी प्रतिबंधों का प्रभाव
भारत में तेल आपूर्ति में कमी
नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए नए प्रतिबंधों का प्रभाव अब स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। भारत को रूस से मिलने वाले तेल की आपूर्ति में भारी कमी आई है। अमेरिका ने 22 अक्टूबर को रूस की प्रमुख तेल कंपनियों रॉसनेफ्ट और लुकोइल पर आर्थिक प्रतिबंध लागू किए थे, जिसके बाद भारतीय रिफाइनरियों ने एहतियाती कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। एचपीसीएल-मित्तल एनर्जी ने पहले ही घोषणा की है कि वह रूसी तेल का आयात अस्थायी रूप से रोक देगी।
कच्चे तेल का निर्यात घटा
केपलर के आंकड़ों के अनुसार, 27 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में भारत को रूस से कच्चे तेल का औसत निर्यात घटकर 11.9 लाख बैरल प्रतिदिन रह गया, जबकि इससे पहले यह 19.5 लाख बैरल प्रतिदिन था। रॉसनेफ्ट से तेल की आपूर्ति 8.1 लाख बैरल प्रतिदिन रह गई है, और लुकोइल से इस अवधि में कोई शिपमेंट नहीं आई। यह गिरावट अमेरिकी प्रतिबंधों की 21 नवंबर की डेडलाइन को ध्यान में रखते हुए कम शिपमेंट भेजे जाने का परिणाम है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज का बयान
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने क्या कहा?
इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) ने कहा है कि वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा लगाए गए सभी प्रतिबंधों का पालन करेगी, हालांकि उसने भविष्य में रूसी तेल आयात के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी। रिलायंस इंडस्ट्रीज, जो भारत के कुल रूसी तेल आयात का लगभग आधा हिस्सा संभालती है, ने कहा है कि वह सरकार के निर्देशों का पालन करेगी।
भविष्य में संभावित प्रभाव
आने वाले दिनों में क्या होगा असर?
रूस की हिस्सेदारी भारत के कुल तेल आयात में वर्तमान में 35 प्रतिशत है, लेकिन अमेरिकी कदमों के बाद यह अनुपात धीरे-धीरे घट सकता है। अक्टूबर में भारत का औसत रूसी तेल आयात 16.2 लाख बैरल प्रतिदिन रहा, जो सितंबर के 16.1 लाख बैरल के लगभग बराबर था। विश्लेषकों का मानना है कि दिसंबर और जनवरी में यह गिरावट और अधिक स्पष्ट होगी, क्योंकि रिफाइनरियां नए स्रोतों की ओर रुख करेंगी।
रूसी तेल पर निर्भरता
क्या पूरी तरह से खत्म हो जाएगी निर्भरता?
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत पूरी तरह से रूसी तेल पर निर्भरता समाप्त नहीं करेगा, क्योंकि यह अभी भी भारतीय बाजार के लिए किफायती है। जब तक भारत सरकार औपचारिक रूप से आयात पर रोक नहीं लगाती, तब तक रूस से तेल सीमित मात्रा में मध्यस्थ चैनलों के माध्यम से आता रहेगा। भारतीय रिफाइनरियां अब पश्चिम एशिया, पश्चिम अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और उत्तरी अमेरिका से अधिक तेल खरीदने की योजना बना रही हैं ताकि आपूर्ति में कमी को पूरा किया जा सके। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता देश है और अपनी जरूरतों का लगभग 88 प्रतिशत हिस्सा आयात करता है।