भारत में विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस: दर्द और साहस की कहानी
विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस का महत्व
भारत आज, 14 अगस्त को 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' के रूप में उस दर्दनाक अध्याय को याद कर रहा है, जिसने लाखों लोगों के जीवन को हमेशा के लिए बदल दिया। यह दिन स्वतंत्रता की खुशी के साथ-साथ विभाजन के असहनीय दुख को भी दर्शाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे देश के इतिहास के एक अत्यंत दुखद क्षण के रूप में वर्णित किया, जब करोड़ों भारतीयों को अपने घरों से बेदखल किया गया और उन्हें भयानक पीड़ा और हिंसा का सामना करना पड़ा।1947 में भारत का विभाजन मानवता के इतिहास के सबसे भयावह अध्यायों में से एक था। इस विभाजन ने न केवल भौगोलिक सीमाओं को बदला, बल्कि करोड़ों लोगों के जीवन में उथल-पुथल मचा दी। लाखों परिवारों को अपने घर, संपत्ति और सब कुछ छोड़कर विस्थापित होना पड़ा। इस दौरान हुई सांप्रदायिक हिंसा में लगभग 20 लाख लोगों की जान गई, और अनगिनत महिलाओं को अपहरण और दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा। यह दर्द भारतीय समाज पर एक अमिट छाप छोड़ गया है, जिसकी यादें आज भी ताजा हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि यह दिन उन सभी लोगों के साहस और अदम्य इच्छाशक्ति का सम्मान करने का है, जिन्होंने अकल्पनीय नुकसान का सामना करने के बावजूद नए सिरे से जीवन शुरू करने की हिम्मत दिखाई। उन्होंने कहा, “यह दिन उनके साहस का सम्मान करने का भी अवसर है, जिन्होंने अकल्पनीय क्षति का सामना किया और फिर भी नए सिरे से शुरुआत की।” प्रभावित लोगों ने अपने जीवन का पुनर्निर्माण किया और उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल कीं।
प्रधानमंत्री ने इस मौके पर एकता और सद्भाव के बंधन को मजबूत करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमारे देश को एक सूत्र में पिरोने वाले सद्भाव के बंधन को बनाए रखना हमारी स्थायी जिम्मेदारी है। नफरत और विभाजनकारी ताकतों से लड़ने के लिए राष्ट्रीय एकता और अखंडता को बनाए रखने का संकल्प लेना आज की आवश्यकता है।
14 अगस्त को 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' मनाने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भारत की भावी पीढ़ियाँ 1947 के विभाजन के दौरान लोगों द्वारा सहे गए दर्द, पीड़ा और बलिदान को कभी न भूलें। यह दिन हमें याद दिलाता है कि नफरत और कट्टरता किसी भी समाज के लिए कितनी विनाशकारी हो सकती है, और इसके विपरीत, एकता, सामाजिक सद्भाव और मानवता का महत्व सर्वोपरि है। यह दिवस राष्ट्रीय एकता और राष्ट्र निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।