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भारत में सर्जियो गोर की नियुक्ति: क्या बदलेंगे भारत-अमेरिका संबंध?

अमेरिका ने सर्जियो गोर को भारत में राजदूत के रूप में नियुक्त किया है, जो दक्षिण और मध्य एशिया के विशेष दूत भी हैं। उनकी नियुक्ति से भारत-अमेरिका संबंधों में नई दिशा देखने को मिल सकती है। गोर की ट्रंप प्रशासन के साथ निकटता और उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि को देखते हुए, यह नियुक्ति भारत के लिए फायदेमंद हो सकती है। हालांकि, इस प्रक्रिया में पारंपरिक राजनयिक शिष्टाचार की अनदेखी और गोर की द्वैतीय भूमिका भारतीय विदेश नीति के लिए चिंता का विषय है। जानें, इस नियुक्ति का भारत पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
 

सर्जियो गोर का भारत में राजदूत के रूप में आगमन

Sergio Gora Ambassador India : अमेरिका ने सर्जियो गोर को भारत में अपने नए राजदूत के रूप में नियुक्त किया है, साथ ही उन्हें दक्षिण और मध्य एशिया के विशेष दूत की जिम्मेदारी भी दी गई है। यह नियुक्ति भारत और अमेरिका के बीच संबंधों को और गहरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण मानी जा रही है। गोर का असली नाम गोरोखोवोस्की है और उनका जन्म उज्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में हुआ था। 12 साल की उम्र में उनका परिवार अमेरिका चला गया। उनके पिता सोवियत वायुसेना के लिए विमान डिजाइन करते थे, जबकि उनकी मां इज़राइली मूल की हैं।


गोर का राजनीतिक सफर

गोर का अमेरिकी राजनीति में उदय
गोर ने किशोरावस्था से ही अमेरिकी कंजर्वेटिव रिपब्लिकन राजनीति में कदम रखा। वे कई प्रमुख नेताओं के प्रवक्ता रह चुके हैं और डोनाल्ड ट्रंप के 2020 के चुनावी अभियान में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। ट्रंप के 'मेक अमेरिका ग्रेट अगेन' अभियान के प्रमुख चेहरों में से एक माने जाते हैं। ट्रंप प्रशासन के साथ उनकी निकटता के कारण उन्हें राष्ट्रपति तक सीधी पहुंच वाला व्यक्ति माना जाता है।


भारत सरकार की प्रतिक्रिया

गोर को भारत के राजदूत के तौर पर नामित...
जब सर्जियो गोर की भारत में राजदूत के रूप में नियुक्ति की गई, तब भारत सरकार को इसकी जानकारी नहीं थी। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एक मीडिया बातचीत में कहा कि उन्हें भी इस नियुक्ति की खबर मीडिया से मिली। आमतौर पर, किसी देश में राजदूत भेजने से पहले उस देश की अनुमति ली जाती है, लेकिन इस बार ट्रंप प्रशासन ने सीधे सार्वजनिक घोषणा कर दी, जिससे भारत में असहजता का माहौल बना।


दक्षिण और मध्य एशिया की जिम्मेदारी

दक्षिण और मध्य एशिया भी सौंपी गई
गोर को भारत के साथ-साथ दक्षिण और मध्य एशिया की देखरेख की जिम्मेदारी भी दी गई है, जिससे भारत की भूमिका कमतर होने की आशंका जताई जा रही है। भारत लंबे समय से पाकिस्तान जैसे देशों से खुद को अलग दिखाना चाहता है, लेकिन गोर को पूरे क्षेत्र की जिम्मेदारी सौंपने से यह प्रयास प्रभावित हो सकता है। वरिष्ठ राजनयिक श्याम सरन ने इस पर चिंता जताई है और इसे भारत को 'पार्ट-टाइम राजदूत' देने जैसा बताया है।


गोर की ट्रंप तक पहुंच

गोर की ट्रंप तक पहुंच भारत के लिए फायदेमंद
कुछ अमेरिकी विशेषज्ञों का मानना है कि गोर की राष्ट्रपति ट्रंप तक सीधी पहुंच भारत के लिए फायदेमंद हो सकती है। ट्रंप के पूर्व सलाहकार स्टीव बैनन ने भी इस नियुक्ति का समर्थन किया है, यह कहते हुए कि गोर भले ही भारत की नीति की गहरी समझ नहीं रखते, लेकिन वे तेजी से सीखने में सक्षम हैं। दूसरी ओर, भारत की पारंपरिक गुटनिरपेक्ष विदेश नीति और ट्रंप की अचानक बदली रणनीतियां भारत को असमंजस में डाल सकती हैं।


ट्रंप की भारत नीति पर संदेह

ट्रंप की भारत नीति पर संदेह
हाल के महीनों में ट्रंप ने भारत के खिलाफ कई तीखे बयान दिए हैं, जिसमें उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था की तुलना रूस से करते हुए उसे 'मृत' कहा था। उनके सलाहकारों ने भारत पर यूक्रेन युद्ध में भूमिका निभाने के आरोप भी लगाए हैं। इससे स्पष्ट होता है कि ट्रंप की भारत नीति स्थिर नहीं है और गोर की नियुक्ति से इन रिश्तों में गर्माहट आएगी या तनाव, यह अभी कहना मुश्किल है।


भारत की व्हाइट हाउस तक सीधी पहुंच

भारत की व्हाइट हाउस तक सीधी पहुंच...
सर्जियो गोर की भारत में राजदूत नियुक्ति अमेरिकी राजनीति के बदलते स्वरूप और भारत-अमेरिका संबंधों की जटिलता को दर्शाती है। यह नियुक्ति भारत को व्हाइट हाउस तक सीधी पहुंच दे सकती है, लेकिन पारंपरिक राजनयिक शिष्टाचार की अनदेखी और गोर की द्वैतीय भूमिका भारतीय विदेश नीति के लिए चिंता का विषय है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि गोर इस नई भूमिका में कैसे संतुलन स्थापित करते हैं।