भारत-रूस तेल संबंध: अमेरिका की चिंता और रूस का सस्ता तेल
रूस का तेल सस्ता क्यों है और भारत-रूस के संबंधों पर अमेरिका की नाराजगी के पीछे क्या कारण हैं? इस लेख में हम अमेरिका की नई आर्थिक नीतियों, रूस के तेल उत्पादन और भारत की ऊर्जा सुरक्षा पर चर्चा करेंगे। जानें कि कैसे रूस की किफायती तेल आपूर्ति भारत के लिए महत्वपूर्ण है और इसके वैश्विक प्रभाव क्या हो सकते हैं।
Aug 3, 2025, 17:40 IST
रूस का सस्ता तेल और अमेरिका की नाराजगी
क्या आप जानते हैं कि रूस का तेल इतना सस्ता क्यों है और भारत-रूस के संबंधों पर अमेरिका की नाराजगी के पीछे क्या कारण हैं? पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका की नई आर्थिक नीतियों ने वैश्विक व्यापार में हलचल मचा दी है, विशेषकर डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद। उनके द्वारा लगाए गए टैरिफ और अन्य प्रतिबंधों ने कई देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर गहरा असर डाला है। भारत को अब पहले जैसी छूट नहीं मिली है, और अमेरिका खासकर भारत की रूस के साथ बढ़ती ऊर्जा साझेदारी को लेकर चिंतित है।ट्रंप प्रशासन ने भारत से अपेक्षा की है कि वह रूस से तेल की खरीद में कमी लाए, जिसके लिए उन्होंने भारतीय उत्पादों पर 25 प्रतिशत तक अतिरिक्त टैरिफ और जुर्माने की चेतावनी भी दी है। लेकिन सवाल यह है कि रूस का तेल इतना सस्ता कैसे हो रहा है, जबकि अन्य देश इस प्रतिस्पर्धा में टिक नहीं पा रहे हैं?
रूस का तेल उत्पादन विश्व में दूसरे स्थान पर है, जहां प्रतिदिन लगभग 95 लाख बैरल तेल निकाला जाता है, जो वैश्विक मांग का लगभग 10 प्रतिशत है। इसके अलावा, रूस हर दिन लगभग 45 लाख बैरल कच्चा और 23 लाख बैरल रिफाइन तेल विदेशों को निर्यात करता है। यूक्रेन के साथ चल रहे युद्ध के बावजूद, रूस का तेल बाजार से पूरी तरह बाहर नहीं हुआ है, हालांकि मार्च 2022 में ब्रेंट क्रूड की कीमतें 137 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थीं।
पश्चिमी देशों ने रूस से तेल आयात पर रोक लगा दी है, जिससे रूस को अपनी तेल बिक्री के लिए नए खरीदारों की तलाश करनी पड़ी। प्रतिबंधों के कारण, रूस को उन देशों को कम दाम पर तेल बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा जो इन प्रतिबंधों में शामिल नहीं हैं, जैसे भारत। इसके अलावा, रूस में तेल उत्पादन की लागत कई क्षेत्रों में कम होने के कारण, वह कम कीमतों पर भी लाभ कमा सकता है।
भारत ऊर्जा के क्षेत्र में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है और अपनी जरूरतों का लगभग 85 प्रतिशत तेल आयात पर निर्भर करता है। रूस की सस्ती तेल आपूर्ति भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। यदि भारत रूस से तेल खरीदना बंद करता है, तो कच्चे तेल की कीमतें 200 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं, जो घरेलू और वैश्विक स्तर पर उपभोक्ताओं पर भारी आर्थिक दबाव डाल सकती हैं.