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भारत-रूस रक्षा सहयोग: नई तकनीकी साझेदारी और अपग्रेडेशन की दिशा में कदम

भारत और रूस के बीच हाल ही में हुई रक्षा मंत्रियों की बैठक में महत्वपूर्ण सैन्य सहयोग पर चर्चा की गई। इस बैठक में एयर डिफेंस प्रणालियों और मिसाइलों के विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया। भारत, रूस के साथ मिलकर अपनी हवाई सुरक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के लिए ठोस कदम उठा रहा है। इसके अलावा, Su-30MKI विमानों के अपग्रेडेशन और RVV-BD मिसाइल के विकास पर भी जोर दिया गया है। यह सहयोग भारत की आत्मनिर्भर रक्षा नीति को मजबूत करने में सहायक होगा।
 

भारत और रूस के बीच महत्वपूर्ण रक्षा बैठक

हाल ही में चीन के किंगदाओ में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की रक्षा मंत्रियों की बैठक में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रूस के रक्षा मंत्री आंद्रे बेलोउसव के साथ एक महत्वपूर्ण वार्ता की। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच बढ़ते सैन्य सहयोग के अवसरों पर चर्चा करना था। भारतीय रक्षा मंत्रालय ने बताया कि दोनों पक्षों ने एयर डिफेंस प्रणालियों और हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों के विकास पर ध्यान केंद्रित किया। यह स्पष्ट है कि भारत अपनी हवाई सुरक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के लिए रूस के साथ ठोस रक्षा समझौते पर काम कर रहा है।


इस सप्ताह एक रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि भारत और रूस एस-500 एयर डिफेंस सिस्टम की खरीद को लेकर गंभीर बातचीत कर रहे हैं, जो देश की रक्षा संरचना को और मजबूत करेगा।


रूस ने एयरो इंडिया 2025 में भारत को अपनी लंबी दूरी की R-37M मिसाइल, जिसे RVV-BD के नाम से भी जाना जाता है, की बिक्री का प्रस्ताव दिया था। इस मिसाइल को 'मेक इन इंडिया' के तहत भारत में स्थानीय स्तर पर तैयार करने की योजना है। रूस की सरकारी कंपनी रोसोबोरोनएक्सपोर्ट ने पुष्टि की है कि दोनों देशों के बीच आधुनिक गाइडेड मिसाइलों के संयुक्त विकास पर बातचीत चल रही है।


यह साझेदारी केवल भारत की जरूरतों को पूरा करने तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि इसका उद्देश्य तीसरे देशों को भी इस तकनीक का निर्यात करना है। इसका मतलब है कि भारत इस क्षेत्र में खुद को एक निर्यातक के रूप में स्थापित करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है।


Su-30MKI विमानों का अपग्रेडेशन

पिछले ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायुसेना के Su-30MKI विमानों ने पाकिस्तान के ठिकानों पर ब्रह्मोस मिसाइलों का सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया था। अब इन विमानों के अपग्रेडेशन का काम तेजी से चल रहा है। रूस ने स्पष्ट किया है कि इस अपग्रेडेशन में भारतीय रक्षा कंपनियों के साथ मिलकर काम करेगा। HAL की अगुवाई में इस योजना को भारत में ही पूरा किया जाएगा।


इस अपग्रेडेशन में Su-30MKI में नए AESA रडार, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम, इन्फ्रारेड सर्च एंड ट्रैक तकनीक और आधुनिक कॉकपिट इंटरफेस को शामिल किया जाएगा, जिससे ये विमान भविष्य की लड़ाइयों के लिए पूरी तरह सक्षम बन जाएंगे।


पूर्व वायुसेना पायलट विजयेंद्र ठाकुर के अनुसार, इस बैठक में S-400 सिस्टम की आपूर्ति, Su-30MKI का अपग्रेडेशन और अन्य महत्वपूर्ण सैन्य उपकरणों की खरीद पर विशेष चर्चा हुई। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान की वायुसेना ने हाल ही में चीनी PL-15 मिसाइल का इस्तेमाल किया था, जिससे भारत को लंबी दूरी की मारक क्षमता विकसित करने की आवश्यकता महसूस हुई।


भारत की आत्मनिर्भर रक्षा नीति

भारत ने इस चुनौती का जवाब RVV-BD मिसाइल और विरूपाक्ष AESA रडार के रूप में दिया है, जिसे DRDO द्वारा विकसित किया जा रहा है। इस रडार में उन्नत तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जो सैकड़ों किलोमीटर दूर के लक्ष्य को ट्रैक कर सकता है और कई लक्ष्यों को एक साथ निशाना बना सकता है।


भारत को Su-30MKI के लिए रूस की तकनीकी सहायता की आवश्यकता है। यह सहयोग केवल मिसाइलों को विमान में जोड़ने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे S-400 और AEW&CS जैसी प्रणालियों के साथ नेटवर्क आधारित युद्ध के विस्तार में भी शामिल किया जाएगा।


Su-30MKI विमानों के अपग्रेडेशन और RVV-BD मिसाइल के साथ लैस करने की योजना से भारतीय वायुसेना की मारक क्षमता को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की तैयारी है। यह कदम केवल रक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण नहीं, बल्कि यह भारत-रूस के सामरिक साझेदारी को और गहरा करने वाला भी है।