भारत-रूस शिखर सम्मेलन में मोदी ने पुतिन को दिए सांस्कृतिक उपहार
भारत-रूस शिखर सम्मेलन में सांस्कृतिक उपहार
नई दिल्ली: भारत और रूस के बीच हुए शिखर सम्मेलन में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को ऐसे उपहार दिए, जो भारतीय संस्कृति की गहराई और विविधता को दर्शाते हैं.
ये उपहार केवल औपचारिक वस्तुएं नहीं हैं, बल्कि भारत की पहचान, परंपरा और कारीगरी का प्रतीक हैं. कश्मीर, असम, महाराष्ट्र और बंगाल जैसे विभिन्न क्षेत्रों की विशेषताओं को समेटे हुए यह उपहार-संग्रह भारत और रूस के बीच की मजबूत मित्रता का प्रतीक माना जा रहा है.
असम की चाय- ब्रह्मपुत्र की मिट्टी से उठती खुशबू
प्रधानमंत्री मोदी ने पुतिन को असम की प्रसिद्ध ब्लैक टी भेंट की, जो अपने गहरे स्वाद और अनोखी महक के लिए जानी जाती है. यह चाय ब्रह्मपुत्र घाटी में उगती है और 2007 से GI टैग के साथ संरक्षित है. रूस में चाय की संस्कृति बहुत मजबूत है, इसलिए यह उपहार दोनों देशों के सांस्कृतिक संबंधों का प्रतीक है. इसके स्वास्थ्य लाभ भी इसे लोकप्रिय बनाते हैं.
महाराष्ट्र का हस्तनिर्मित चांदी का घोड़ा
उपहारों की सूची में महाराष्ट्र से एक सुंदर चांदी का हस्तनिर्मित घोड़ा भी शामिल था. यह घोड़ा भारतीय शिल्पकला की बारीकियों और धातुकारी परंपरा को दर्शाता है. मोदी सरकार के अनुसार, यह घोड़ा आगे बढ़ते कदमों और दृढ़ता का प्रतीक है, जो भारत-रूस साझेदारी के मजबूत रिश्तों का संदेश देता है. भारतीय और रूसी संस्कृति में घोड़े को साहस, गति और प्रतिष्ठा का प्रतीक माना जाता है.
कश्मीर का केसर- 'रेड गोल्ड' की अनमोल खुशबू
कश्मीर की ऊंची पहाड़ियों में उगने वाला केसर दुनिया की बेहतरीन क्वालिटी में गिना जाता है. पुतिन को भेंट किया गया यह 'जाफरान' अपने गहरे रंग, प्रबल सुगंध और विशिष्ट स्वाद के लिए प्रसिद्ध है. इसे 'रेड गोल्ड' कहा जाता है, क्योंकि इसकी खेती बेहद कठिन होती है और हर ग्राम केसर की कीमत सोने जैसी होती है. GI टैग इसकी शुद्धता और प्रामाणिकता को और मजबूत करता है.
बंगाल की चांदी की टी-सेट
प्रधानमंत्री मोदी ने पुतिन को मुर्शिदाबाद की विशेष चांदी की टी-सेट भी भेंट की. यह सेट बारीक नक्काशी और शिल्पकला का उत्कृष्ट उदाहरण है, जिसमें पश्चिम बंगाल की सदियों पुरानी कलात्मक विरासत की झलक मिलती है. चाय-संस्कृति भारत और रूस के लोगों के बीच भावनात्मक जुड़ाव का हिस्सा रही है. यह टी-सेट मोदी के चाय बेचने के दिनों की याद भी दिलाती है, जो इसे और खास बनाता है.
विरासत और कूटनीति का मिला-जुला संदेश
इन उपहारों ने भारतीय संस्कृति की विविधता, परंपरा और हस्तकला की व्यापकता को एकत्रित किया. हर उपहार किसी न किसी क्षेत्रीय पहचान का प्रतिनिधित्व करता है- कभी असम की सुगंध, कभी कश्मीर का स्वाद, कभी महाराष्ट्र की कला और कभी बंगाल की नक्काशी. यह उपहार-संग्रह केवल कूटनीतिक औपचारिकता नहीं, बल्कि दोस्ती की गहराई और साझेदारी की मजबूती का प्रतीक भी है.