×

भारत-सिंगापुर मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन: द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने की दिशा में कदम

भारत और सिंगापुर के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए नई दिल्ली में मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। इस सम्मेलन में उन्नत प्रौद्योगिकी, कौशल विकास और ग्रीन ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में समझौतों पर चर्चा की जाएगी। सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग की संभावित यात्रा से पहले यह बैठक महत्वपूर्ण है। जानें इस सम्मेलन के प्रमुख बिंदुओं और दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देने की योजनाओं के बारे में।
 

भारत-सिंगापुर संबंधों को प्रगाढ़ बनाने की पहल

भारत के विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को जानकारी दी कि भारत-सिंगापुर मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन (आईएसएमआर) का तीसरा चरण बुधवार को नई दिल्ली में आयोजित किया जाएगा। इस सम्मेलन का उद्देश्य दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और अधिक मजबूत करना है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, यह उच्च-स्तरीय वार्ता सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग की अगले महीने भारत यात्रा से पहले हो रही है।


समझौतों पर चर्चा

भारत और सिंगापुर के शीर्ष मंत्रियों की बैठक इस सप्ताह उन्नत प्रौद्योगिकी, कनेक्टिविटी, कौशल विकास और डिजिटलीकरण जैसे क्षेत्रों में लगभग 10 समझौतों को अंतिम रूप देने की दिशा में काम कर रही है। सूत्रों के अनुसार, दोनों पक्ष समुद्र के नीचे केबल बिछाने के महत्वाकांक्षी प्रस्ताव पर भी चर्चा कर रहे हैं, जो सौर ऊर्जा को भारत से सिंगापुर तक पहुंचाने में मदद करेगा और डेटा कनेक्टिविटी भी प्रदान करेगा।


ग्रीन अमोनिया और हाइड्रोजन का निर्यात

भारत से सिंगापुर को ग्रीन अमोनिया और ग्रीन हाइड्रोजन के निर्यात का प्रस्ताव भी है, जिसे द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के प्रयासों का हिस्सा माना जा रहा है। इन प्रस्तावों को सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग की संभावित यात्रा से पहले अंतिम रूप देने की तैयारी की जा रही है।


मंत्रियों की वार्ता

विदेश मंत्री एस. जयशंकर, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव आईएसएमआर के तहत सिंगापुर के छह मंत्रियों के साथ वार्ता करेंगे। पिछले साल सितंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सिंगापुर यात्रा के दौरान भारत-सिंगापुर संबंधों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी के स्तर पर ले जाया गया था।


कौशल विकास और व्यापार बढ़ाने की योजनाएं

बैठक में कौशल विकास से जुड़े समझौतों पर चर्चा होने की उम्मीद है, जिसमें विमानन, सेमीकंडक्टर और उन्नत विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में सहयोग शामिल होगा। आईएसएमआर में वाशिंगटन की शुल्क नीति के प्रभाव और उससे निपटने के तरीकों पर भी चर्चा की जा सकती है। दोनों देश सालाना लगभग 1,00,000 भारतीयों को कौशल विकास प्रशिक्षण देने के उद्देश्य से एक योजना पर काम कर रहे हैं।


व्यापार को बढ़ावा देने की दिशा में कदम

आगामी आईएसएमआर में दोनों देशों के बीच समग्र व्यापार को बढ़ावा देने पर भी चर्चा की जाएगी। सिंगापुर, आसियान में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और यह प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का प्रमुख स्रोत भी है।