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भारतीय एयरलाइंस में हड़कंप: Indigo की उड़ानों में रद्दी और देरी का बड़ा कारण क्या है?

भारतीय विमानन उद्योग में इन दिनों हड़कंप मचा हुआ है, खासकर IndiGo एयरलाइंस की उड़ानों में रद्दी और देरी के कारण। DGCA द्वारा लागू किए गए नए नियमों ने स्थिति को और बिगाड़ दिया है, जिससे लाखों यात्रियों की यात्रा प्रभावित हुई है। जानें कि कैसे एयरलाइंस ने इस संकट का सामना किया और भविष्य में क्या उम्मीद की जा सकती है। क्या DGCA की नीतियों ने स्थिति को और जटिल बना दिया है? इस लेख में जानें सभी महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में।
 

भारतीय एविएशन उद्योग की स्थिति


भारतीय विमानन क्षेत्र इन दिनों गंभीर संकट का सामना कर रहा है। इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से लेकर मुंबई, बेंगलुरु और हैदराबाद तक, इंडिगो एयरलाइंस की उड़ानें लगातार रद्द और देरी का शिकार हो रही हैं, जिससे यात्रियों को घंटों तक लंबी कतारों में खड़ा होना पड़ रहा है।


दिसंबर 2025 के पहले सप्ताह में ही 600 से अधिक उड़ानें रद्द हो चुकी हैं, जिससे लाखों यात्रियों की यात्रा प्रभावित हुई है। इसका मुख्य कारण DGCA (डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन) द्वारा लागू किए गए नए फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन्स (FDTL) नियम हैं।


स्थिति का कारण

क्यों बनी ऐसी स्थिति 


अब सवाल यह उठता है कि पहले सख्ती से नियम लागू किए गए और फिर अचानक पीछे हटने का कारण क्या था? DGCA ने जनवरी 2024 में FDTL नियमों में संशोधन किया था, जिसका उद्देश्य पायलटों और क्रू की थकान को कम करना था। इन नियमों में साप्ताहिक आराम को 36 घंटे से बढ़ाकर 48 घंटे करना, रात की ड्यूटी को रात 12 बजे से सुबह 6 बजे तक बढ़ाना और लगातार दो से अधिक रात की उड़ानों पर रोक लगाना शामिल था।


ये नियम मूल रूप से मार्च 2024 से लागू होने थे, लेकिन एयरलाइंस की मांग पर इन्हें चरणबद्ध तरीके से जुलाई 2025 से लागू किया गया और 1 नवंबर 2025 से पूरी तरह से प्रभावी हुए। DGCA ने दो साल का समय दिया था, लेकिन इंडिगो जैसी प्रमुख एयरलाइन ने पर्याप्त पायलटों की भर्ती या प्रशिक्षण नहीं किया।


क्रू की कमी का प्रभाव

क्रू की कमी के कारण हुई दिक्कत 


एयरलाइन पायलट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ALPAI) के अनुसार, एयरलाइंस ने जानबूझकर देरी की और 'स्लॉट होर्डिंग' की, यानी एयरपोर्ट स्लॉट बुक किए लेकिन क्रू की कमी के कारण उड़ानें संचालित नहीं कर पाईं।


यह स्थिति एक 'आर्टिफिशियल क्राइसिस' की तरह प्रतीत होती है, जिसका उद्देश्य DGCA पर दबाव बनाना था। इंडिगो, जो घरेलू बाजार में 60% हिस्सेदारी रखती है, ने इसे 'अनप्रेडिक्टेबल चैलेंजेस' जैसे मौसम, ट्रैफिक जाम और तकनीकी खराबी का नाम दिया। लेकिन आंकड़े कुछ और ही बताते हैं। नवंबर 2025 में इंडिगो की 62% रद्दी उड़ानें क्रू की कमी के कारण हुईं, और ऑन-टाइम परफॉर्मेंस 84% से घटकर 68% रह गई।


भविष्य की संभावनाएँ

फरवरी तक स्थिति होगी सामान्य 


एयरलाइन ने DGCA को सूचित किया है कि पूर्ण सामान्यता फरवरी 2026 तक आएगी, लेकिन तब तक और रद्दी उड़ानें होंगी। पायलट यूनियनों का आरोप है कि इंडिगो की 'लीन मैनपावर स्ट्रैटेजी' यानी न्यूनतम स्टाफ इसकी जड़ है।


DGCA की भूमिका

DGCA की गलती? 


ये नियम सुरक्षा के लिए आवश्यक थे, लेकिन क्या इन्हें बिना हालात समझे लागू किया गया? नहीं, क्योंकि दिल्ली हाईकोर्ट ने इन्हें लागू करने का आदेश दिया था। फिर भी, 5 दिसंबर 2025 को DGCA ने यू-टर्न लेते हुए जनवरी 2025 के उस क्लॉज को वापस ले लिया, जो कहता था कि 'लीव को वीकली रेस्ट की जगह नहीं लिया जा सकता।'


अब एयरलाइंस लीव को रेस्ट मान सकती हैं, जो तत्काल राहत है। लेकिन यह डैमेज कंट्रोल की तरह लगता है। यात्रियों को बंधक बनाकर एयरलाइंस ने सरकार को मजबूर कर दिया। राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इसे 'आर्म-ट्विस्टिंग' कहा। योजना में चूक हुई, लेकिन मुख्य रूप से एयरलाइंस की। DGCA ने सुरक्षा को प्राथमिकता दी, लेकिन एयरलाइंस ने लाभ के चक्कर में तैयारी को टाल दिया।