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भारतीय रेलवे का ग्रीन इंडिया मिशन: पर्यावरण संरक्षण में योगदान

भारतीय रेलवे ने विश्व पर्यावरण दिवस पर अपने ग्रीन इंडिया मिशन की पुष्टि की है, जो न केवल पर्यावरण की रक्षा करता है बल्कि अर्थव्यवस्था को भी लाभ पहुंचाता है। पीएम मोदी के पंचामृत लक्ष्यों के तहत, रेलवे ने 2070 तक जीरो कार्बन उत्सर्जन के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। रेलवे का माल परिवहन बढ़ रहा है, जिससे CO2 उत्सर्जन में कमी आ रही है। यह न केवल व्यापारिक क्षेत्र के लिए फायदेमंद है, बल्कि पूरे देश की अर्थव्यवस्था को भी सशक्त बना रहा है।
 

भारतीय रेलवे का पर्यावरण के प्रति प्रतिबद्धता

भारतीय रेलवे: विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर, भारतीय रेलवे ने अपने विकास लक्ष्यों को फिर से स्पष्ट किया है। यह रेलवे पीएम मोदी की पंचामृत योजनाओं में से एक है। रेलवे मंत्रालय ने बताया कि हर साल लाखों लोग रेल यात्रा को प्राथमिकता देते हैं, जो न केवल सुविधा और आराम का चयन करते हैं, बल्कि एक स्वच्छ और हरित भारत के निर्माण में भी योगदान देते हैं। पिछले वर्ष, भारतीय रेलवे ने 700 करोड़ से अधिक यात्रियों को सेवाएं प्रदान की हैं। भारतीय रेलवे स्थानीय लोगों के लिए जीवनरेखा है, इसलिए यह पर्यावरण को हरा-भरा बनाए रखने का वचन भी देता है।


पीएम मोदी के पंचामृत लक्ष्यों में भारतीय रेलवे की भूमिका

भारतीय रेलवे, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा निर्धारित पंचामृत लक्ष्यों को 2070 तक जीरो कार्बन उत्सर्जन मिशन के करीब लाने में सहायता कर रहा है। इस पहल के तहत, सड़क परिवहन से रेल परिवहन में बदलाव हो रहा है, जिससे ग्रीन एनर्जी के उपयोग से भारत की अर्थव्यवस्था को डीकार्बोनाइज करने में मदद मिल रही है। ये कदम भारत को अपनी अर्थव्यवस्था को कार्बन मुक्त करने में सहायता कर रहे हैं।


भारतीय रेलवे: दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मालवाहक

साल 2013-14 में, भारतीय रेलवे ने लगभग 1,055 मिलियन टन माल का परिवहन किया। अब, 2024-25 में यह आंकड़ा बढ़कर 1,617 मिलियन टन तक पहुंचने की उम्मीद है, जिससे भारतीय रेलवे दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मालवाहक बन गया है। विशेषज्ञों के अनुसार, सड़क परिवहन से रेल परिवहन की ओर इस बदलाव के कारण देश ने 143 मिलियन टन से अधिक CO2 उत्सर्जन को रोकने में सफलता पाई है, जो पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।


अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण बदलाव

रेल द्वारा माल ढुलाई, सड़क परिवहन की तुलना में लगभग आधी लागत पर हो रही है। इसका लाभ केवल व्यापार क्षेत्र को नहीं, बल्कि समग्र अर्थव्यवस्था को भी मिल रहा है। इस बदलाव के कारण पिछले एक दशक में लॉजिस्टिक्स की लागत में लगभग 3.2 लाख करोड़ रुपये की बचत हुई है।


लोगों को मिली साफ हवा

भारतीय रेलवे न केवल कुशल है, बल्कि पर्यावरण के प्रति भी अधिक अनुकूल है। ट्रकों की तुलना में यह लगभग 90% कम कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करती है, जिसका सीधा असर पर्यावरण पर पड़ता है। इससे आसमान में कम धुआं और लोगों को साफ और सुरक्षित हवा मिलती है।


रेलवे स्टेशनों, फैक्ट्रियों और वर्कशॉप्स में ग्रीन ऊर्जा का बढ़ता उपयोग और राज्यों के साथ मिलकर अधिक हरित ऊर्जा से ट्रेनों का संचालन करना, भारत को नेट जीरो लक्ष्य के करीब ला रहा है।