भारतीय रेलवे के पहियों के बारे में रोचक तथ्य
भारतीय रेलवे की नई तकनीक
नई दिल्ली: भारतीय रेलवे वर्तमान में बुलेट ट्रेन और वंदे भारत जैसी तेज़ ट्रेनों के माध्यम से तकनीकी और गति के नए मानक स्थापित कर रहा है। आधुनिकता, विद्युतीकरण और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के युग में रेलवे लगातार नए रिकॉर्ड बना रहा है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जिस ट्रेन में आप यात्रा करते हैं, उसके पहिये का वजन कितना होता है और ये कहां बनते हैं? आज हम आपको भारतीय रेलवे के पहियों से जुड़े कुछ दिलचस्प तथ्य बताने जा रहे हैं।
ट्रेन के पहिये कहां बनते हैं?
भारतीय रेलवे 'मेक इन इंडिया' पहल का एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है, जिसके तहत देश में ट्रेन के पहियों का निर्माण मुख्य रूप से दो स्थानों पर किया जाता है। इनमें से एक कर्नाटक के बेंगलुरु में स्थित रेल व्हील फैक्ट्री (RWF) है, जो एक एकीकृत कारखाना है और न केवल पहिये, बल्कि धुरी और पूरे व्हील सेट का निर्माण भी करता है। इसके अलावा, बिहार के सारण जिले में बेला का रेल व्हील प्लांट (RWP) भी भारी मात्रा में पहियों का उत्पादन करता है, जो देश की ट्रेनों की गति और संचालन को सुचारू बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
नए संयंत्र और आत्मनिर्भरता
आत्मनिर्भरता और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए, तमिलनाडु के गुम्मिदीपोंडी में फोर्ज्ड पहियों के लिए एक नया संयंत्र स्थापित किया जा रहा है। इसके साथ ही, उत्तर प्रदेश के रायबरेली में भी हाई-स्पीड ट्रेनों के पहियों के निर्माण पर कार्य चल रहा है, ताकि आयात पर निर्भरता कम की जा सके और वंदे भारत जैसी ट्रेनों के लिए देश में ही पहिये उपलब्ध हों।
एक पहिये का वजन
एक पहिये का वजन: 300 से 500 किलो तक
ट्रेन के पहियों का वजन उनके प्रकार और उपयोग पर निर्भर करता है। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) के आंकड़ों के अनुसार, इलेक्ट्रिक इंजन के पहिये सबसे भारी होते हैं, जिनका वजन लगभग 554 किलोग्राम होता है, जबकि डीजल इंजन के पहियों का वजन करीब 528 किलोग्राम होता है। सामान्य कोच के पहिये लगभग 384 किलोग्राम और एलएचबी (LHB) कोच के पहिये करीब 326 किलोग्राम के होते हैं। दरअसल, इंजन के पहिये को पूरी ट्रेन खींचने के लिए अधिक मजबूत और भारी बनाया जाता है, इसलिए वे सामान्य डिब्बों की तुलना में अधिक वजनदार होते हैं।
सुरक्षा की प्राथमिकता
सुरक्षा में कोई समझौता नहीं
रेलवे में सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है। पहियों की मजबूती सुनिश्चित करने के लिए कड़े प्रोटोकॉल का पालन किया जाता है। हर 30 दिन में पहियों की गहन जांच की जाती है। यदि किसी पहिये में थोड़ी सी भी खराबी या टूट-फूट दिखाई देती है, तो उसे तुरंत बदल दिया जाता है ताकि यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।