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भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने ISS पर किया ऐतिहासिक कदम

भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर कदम रखकर एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। वे पहले भारतीय हैं जो ISS पर पहुंचे हैं और राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बने हैं। इस मिशन के दौरान, शुभांशु ने कई महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रयोग किए हैं, जिसमें अंतरिक्ष में खेती का प्रयास भी शामिल है। जानें उनके इस अद्वितीय मिशन के बारे में और कैसे यह भारतीय वैज्ञानिकता की नई पहचान बन रहा है।
 

शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा

भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर कदम रखकर एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। वे न केवल ISS पर पहुंचने वाले पहले भारतीय बने हैं, बल्कि राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय भी हैं। शुभांशु इस समय एक्सिओम स्पेस के Axiom-4 मिशन का हिस्सा हैं, जो 14 दिनों तक चलने वाला एक अंतरराष्ट्रीय सहयोगी मिशन है।


वैज्ञानिक प्रयोगों में योगदान

लगभग 12 दिनों से शुभांशु शुक्ला ISS पर विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोगों में संलग्न हैं। उन्होंने वहां रहकर भारत के वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के लिए कई महत्वपूर्ण प्रयोग किए हैं। उन्होंने गर्व के साथ बताया कि उन्हें इसरो और अन्य राष्ट्रीय वैज्ञानिक संस्थानों के साथ मिलकर काम करने का अवसर मिला है। उनका यह मिशन न केवल भारत के लिए गर्व का विषय है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर भारतीय वैज्ञानिक प्रतिभा की पहचान भी है।


अंतरिक्ष में खेती का प्रयास

इस मिशन का एक अनोखा पहलू शुभांशु शुक्ला का "अंतरिक्ष में खेती" करने का प्रयास है। उन्होंने ISS में मूंग और मेथी के बीजों को उगाने में सफलता प्राप्त की है। इन बीजों को पेट्री डिश में अंकुरित किया गया और उनकी वृद्धि को डॉक्युमेंट किया गया। शुभांशु ने इन बीजों की तस्वीरें खींचीं और उन्हें विशेष फ्रीजर में सुरक्षित किया ताकि पृथ्वी पर लौटने के बाद इनका विस्तृत अध्ययन किया जा सके। एक्सिओम स्पेस के अनुसार, इन बीजों की आने वाली पीढ़ियों पर रिसर्च की जाएगी, जिसमें उनके आनुवंशिकी, सूक्ष्मजीव इकोसिस्टम और पोषण संबंधी बदलावों को समझा जाएगा। यह अध्ययन भविष्य में चंद्रमा या मंगल मिशनों के लिए स्थायी कृषि की नींव रख सकता है।


पृथ्वी पर लौटने की तैयारी

फ्लोरिडा तट के मौसम पर निर्भर करते हुए, शुभांशु और उनके साथी 10 जुलाई के बाद किसी भी दिन पृथ्वी पर लौट सकते हैं। नासा ने अब तक वापसी की सटीक तारीख की घोषणा नहीं की है, लेकिन मौसम अनुकूल होते ही यह घोषणा जल्द की जाएगी। इस मिशन के माध्यम से शुभांशु शुक्ला ने यह साबित किया है कि भारतीय अंतरिक्ष यात्री न केवल तकनीकी और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सक्षम हैं, बल्कि भविष्य की अंतरिक्ष यात्राओं के लिए भी एक मजबूत आधार तैयार कर सकते हैं।