भारतीय शेयर बाजार में गिरावट का सिलसिला जारी, H-1B वीजा संकट का असर
भारतीय शेयर बाजार की स्थिति
भारतीय शेयर बाजार में गिरावट का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। गुरुवार को लगातार चौथे दिन बाजार लाल निशान में बंद हुआ, जिससे निवेशकों में चिंता का माहौल है। इस भारी बिकवाली का मुख्य कारण अमेरिका द्वारा H-1B वीजा कार्यक्रम में प्रस्तावित सख्त बदलाव हैं, जिसने देश की प्रमुख आईटी कंपनियों को प्रभावित किया है। इस खबर के बाद आईटी शेयरों में भारी गिरावट आई, जिसका असर पूरे बाजार पर पड़ा।H-1B वीजा भारतीय आईटी कंपनियों जैसे टीसीएस, इंफोसिस और विप्रो के लिए महत्वपूर्ण है। ये कंपनियां अपने कर्मचारियों को अमेरिकी प्रोजेक्ट्स पर भेजने के लिए इसी वीजा का उपयोग करती हैं। अब, अमेरिकी सरकार इस कार्यक्रम को और अधिक कड़ा करने पर विचार कर रही है, जिसमें वीजा की लागत बढ़ाना और चयन प्रक्रिया को सख्त करना शामिल हो सकता है।
इस कदम से भारतीय आईटी कंपनियों को दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ेगा: पहली, परिचालन खर्च में वृद्धि, जिससे मुनाफे पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा; दूसरी, प्रतिभा को अमेरिका भेजने में कठिनाई, जिससे प्रोजेक्ट्स और कंपनी की वृद्धि पर अनिश्चितता बढ़ेगी।
H-1B वीजा संकट की खबर के बाद दलाल स्ट्रीट पर निराशा का माहौल बन गया। इंफोसिस, टीसीएस, विप्रो और एचसीएल टेक जैसे प्रमुख आईटी स्टॉक्स में भारी गिरावट आई, जिससे पूरे सेक्टर में हलचल मच गई।
दिन के अंत में, बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी दोनों ही भारी गिरावट के साथ बंद हुए। यह लगातार चौथा कारोबारी सत्र था जब बाजार गिरावट के साथ बंद हुआ, जिससे निवेशकों की संपत्ति में कमी आई।
विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने भी बाजार से अपनी हिस्सेदारी कम करना जारी रखा, जिससे गिरावट और बढ़ गई। कमजोर वैश्विक संकेतों ने भी बाजार के सेंटिमेंट को प्रभावित किया। विश्लेषकों का मानना है कि जब तक H-1B वीजा नियमों पर स्थिति स्पष्ट नहीं होती, तब तक आईटी शेयरों और समग्र बाजार पर दबाव बना रह सकता है। निवेशकों को सलाह दी जा रही है कि वे सतर्क रहें और 'रुको और देखो' की रणनीति अपनाएं।