भारतीय सेना की गोला-बारूद आत्मनिर्भरता में वृद्धि
भारतीय सेना की युद्ध क्षमता में सुधार
भारतीय सेना अपनी युद्ध क्षमताओं को सशक्त बनाने में जुटी हुई है, विशेष रूप से लंबे समय तक चलने वाले युद्धों के लिए। इसका एक महत्वपूर्ण पहलू गोला-बारूद की आपूर्ति में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना है।
आत्मनिर्भरता की उपलब्धि
सेना के अनुसार, गोला-बारूद की आपूर्ति में 90 प्रतिशत से अधिक आत्मनिर्भरता हासिल की जा चुकी है। बदलते सुरक्षा परिदृश्य और दीर्घकालिक संकटों के समय, किसी भी देश की सैन्य क्षमता केवल आधुनिक हथियारों पर निर्भर नहीं होती, बल्कि निरंतर संचालन की क्षमता पर भी निर्भर करती है। गोला-बारूद, स्पेयर पार्ट्स और लॉजिस्टिक्स इस निरंतरता के लिए आवश्यक हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए, भारतीय सेना ने गोला-बारूद उत्पादन में आत्मनिर्भरता को अपनी रणनीति का केंद्र बनाया है।
पारंपरिक निर्भरता से मुक्ति
अतीत में, भारतीय सेना का गोला-बारूद पारंपरिक उत्पादन प्रणालियों और विदेशी आयात पर निर्भर था, जिससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान आने पर जोखिम बढ़ जाता था। हाल के अंतरराष्ट्रीय संघर्षों ने यह स्पष्ट किया है कि वे देश जो घरेलू स्तर पर गोला-बारूद का सतत उत्पादन कर सकते हैं, वे लंबे समय तक अपनी सैन्य गति बनाए रख सकते हैं।
स्वदेशीकरण की दिशा में कदम
इस चुनौती का समाधान करते हुए, भारतीय सेना ने आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया की दृष्टि के अनुरूप स्वदेशीकरण को तेज किया है। सेना का कहना है कि वर्तमान में वह लगभग 200 प्रकार के गोला-बारूद और प्रिसीजन म्यूनिशन का संचालन कर रही है, जिनमें से 90 प्रतिशत से अधिक का सफलतापूर्वक स्वदेशीकरण हो चुका है।
खरीद प्रक्रियाओं में सुधार
सेना का कहना है कि शेष श्रेणियों पर अनुसंधान संस्थानों, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के उद्योगों के माध्यम से कार्य चल रहा है। पिछले चार-पांच वर्षों में खरीद प्रक्रियाओं का पुनर्गठन किया गया है ताकि प्रतिस्पर्धा बढ़े और आपूर्ति के कई विकल्प उपलब्ध हों।
मेक इन इंडिया का प्रभाव
मेक इन इंडिया के तहत लगभग 16,000 करोड़ रुपए का आदेश-पैकेज तैयार किया गया है। पिछले तीन वर्षों में, लगभग 26,000 करोड़ रुपए के गोला-बारूद के ऑर्डर स्वदेशी निर्माताओं को दिए गए हैं। विभिन्न प्रकारों में अब बहु-स्रोत उपलब्ध होने से आपूर्ति श्रृंखला और मजबूत हुई है।
भविष्य की दिशा
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि अगला चरण इन उपलब्धियों को और मजबूत करने पर केंद्रित है, विशेषकर प्रोपेलेंट और फ्यूज जैसे कच्चे माल की घरेलू आपूर्ति श्रृंखला को सुदृढ़ करने पर। इसके अलावा, निर्माण अवसंरचना के आधुनिकीकरण, तकनीक हस्तांतरण में तेजी और गुणवत्ता मानकों को सुनिश्चित करने पर जोर दिया जा रहा है।
सुदृढ़ गोला-बारूद पारिस्थितिकी तंत्र
ये सभी कदम मिलकर एक सुदृढ़ और आत्मनिर्भर गोला-बारूद पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करेंगे। यह ध्यान देने योग्य है कि स्वदेशी क्षमता को आधार बनाकर, भारतीय सेना न केवल अपनी संचालन क्षमता को बढ़ा रही है, बल्कि राष्ट्रीय और रणनीतिक तैयारियों को भी मजबूत कर रही है।