भीलवाड़ा में लावारिस नवजात की दर्दनाक कहानी: कैसे बचाई गई जान?
राजस्थान के भीलवाड़ा में नवजात की खोज
Rajasthan News: राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के जंगलों में मंगलवार को एक 15 दिन का नवजात शिशु लावारिस अवस्था में मिला। स्थानीय पुलिस ने बताया कि बच्चे के मुंह को इस तरह से बंद किया गया था कि उसकी आवाज सुनाई न दे सके।
पत्थरों के बीच छिपा नवजात
पत्थरों के ढेर में पड़ा था नवजात
यह बच्चा मंडलगढ़ के सीता का कुंड मंदिर के निकट एक मवेशी चराने वाले को मिला। चरवाहे ने देखा कि नवजात शिशु पत्थरों के ढेर के पास पड़ा था। बच्चे के मुंह में एक पत्थर ठूंसा गया था और उसे चिपकने वाली किसी वस्तु से बंद कर दिया गया था। चरवाहे ने तुरंत आस-पड़ोस में शोर मचाया। स्थानीय लोग मौके पर पहुंचे और बच्चे को पत्थर और चिपकने वाली वस्तु से मुक्त कराया। इसके बाद बच्चे को तुरंत बिजोलिया के सरकारी अस्पताल ले जाया गया।
बच्चे की स्वास्थ्य स्थिति
बच्चे की स्थिति
पुलिस के अनुसार, नवजात शिशु की उम्र लगभग 15 से 20 दिन है। डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे के मुंह और जांघ पर चिपकने के निशान थे। फिलहाल, वह चिकित्सकीय देखभाल में सुरक्षित है और उसका इलाज जारी है।
बच्चों के खिलाफ बढ़ती घटनाएं
भारत में बच्चों के खिलाफ बढ़ती घटनाएं
हाल के दिनों में देश के विभिन्न हिस्सों में बच्चों के खिलाफ कई ऐसी घटनाएं सामने आई हैं। उत्तर प्रदेश के भदोही में राष्ट्रीय राजमार्ग-19 के पास एक सुनसान कमरे में 10 महीने की बच्ची का शव मिला था। यह मामला 20 सितंबर की रात का है, जब राजापुर गांव में सड़क से लगभग 200 मीटर दूर एक बिना दरवाजे वाले कमरे से बच्ची का शव बरामद हुआ।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट का खुलासा
पोस्टमार्टम रिपोर्ट
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, बच्ची की हत्या गला दबाकर की गई थी। पुलिस ने बताया कि शव पर कोई बाहरी चोट के निशान नहीं पाए गए। मृतक बच्ची ने ऐसे कपड़े पहने हुए थे, जो बताता है कि वह किसी संपन्न परिवार की थी। शव के पास एक सफेद तौलिया भी मिला।
झारखंड में नवजात को बचाने की घटना
झारखंड में नवजात शिशु को बचाया
एक और मामला 6 सितंबर को झारखंड के जामताड़ा जिले में सामने आया, जहां नवजात शिशु को नाले में फेंक दिया गया था, जिसे बचा लिया गया। यह घटना मिहिजाम इलाके में हुई। बच्चे को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया। जामताड़ा के पुलिस अधीक्षक राजकुमार मेहता ने बताया कि बच्चे के हाथ में फ्रैक्चर था और उसे बेहतर इलाज की आवश्यकता थी। इसके चलते बच्चे को धनबाद के शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (एसएनएमसीएच) में रेफर किया गया।