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मणिपुर में BJP के 43 सदस्यों का इस्तीफा, पीएम मोदी की यात्रा से पहले बड़ा झटका

मणिपुर के उखरूल जिले में भारतीय जनता पार्टी के 43 सदस्यों ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी यात्रा से पहले एक बड़ा झटका है। इस्तीफा देने वाले सदस्यों ने पार्टी की वर्तमान स्थिति को लेकर चिंता जताई है। पीएम मोदी की यात्रा मेइतेई और कुकी-जो समुदायों के बीच चल रहे जातीय संघर्ष के बीच हो रही है, जिसमें कई लोग मारे गए हैं। जानें पीएम मोदी का संभावित कार्यक्रम और मणिपुर में गहराते संकट के बारे में।
 

BJP के सदस्यों का इस्तीफा

गुरुवार (11 सितंबर) को मणिपुर के उखरूल जिले के फुंगयार मंडल में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के 43 सदस्यों ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। यह घटना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मणिपुर यात्रा से ठीक पहले हुई है। इस्तीफा देने वालों में मंडल अध्यक्ष, महिला, युवा और किसान मोर्चा के प्रमुख, साथ ही कई बूथ अध्यक्ष शामिल हैं। यह कदम पार्टी के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।


इस्तीफे का कारण

इस्तीफा देने वाले सदस्यों ने एक बयान में कहा, "हम पार्टी की वर्तमान स्थिति को लेकर गहरी चिंता में हैं। परामर्श की कमी, समावेशिता का अभाव और जमीनी नेतृत्व के प्रति सम्मान की कमी हमारे इस कदम की मुख्य वजह हैं।" उन्होंने आगे कहा, "हमारी पार्टी और इसके विचारों के प्रति निष्ठा हमेशा अटूट रही है। हम मणिपुर के लोगों और अपने समुदाय के कल्याण के लिए काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"


प्रधानमंत्री मोदी की मणिपुर यात्रा

प्रधानमंत्री की मणिपुर यात्रा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मणिपुर यात्रा मई 2023 में मेइतेई और कुकी-जो समुदायों के बीच शुरू हुए जातीय संघर्ष के बाद उनकी पहली यात्रा होगी। इस हिंसा में अब तक 260 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं। फरवरी में मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद से राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू है।


PM मोदी का संभावित कार्यक्रम

जानें PM मोदी का क्या है संभावित कार्यक्रम!

पीएम मोदी की यात्रा चुराचांदपुर से शुरू होगी और इम्फाल के कांगला किले में एक संबोधन के साथ समाप्त होगी। यह यात्रा दोनों समुदायों कुकी-जो और मेइतेई के बीच संतुलन बनाने की कोशिश के रूप में देखी जा रही है। वह विस्थापित परिवारों से मुलाकात करेंगे और पुनर्वास पैकेज की घोषणा कर सकते हैं। यह कदम केंद्र सरकार की तटस्थता और मानवीय संकट के प्रति चिंता को दिखाता है।


मणिपुर में संकट की स्थिति

मणिपुर में गहराता संकट

मई 2023 में शुरू हुआ यह संघर्ष मेइतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति की मांग के विरोध से भड़का था। यह जल्द ही हिंसा में बदल गया, जिसमें भूमि अधिकार, राजनीतिक प्रतिनिधित्व और सांस्कृतिक हाशिए पर होने की शिकायतें उभरकर सामने आईं। इस हिंसा ने मणिपुर के सामाजिक ताने-बाने को तोड़ दिया है और राजनीतिक स्थिति को और जटिल कर दिया है।