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मणिपुर में फिर से हिंसा, सुरक्षा चिंताएं बढ़ीं

मणिपुर में जातीय हिंसा के बीच हालिया गोलीबारी ने सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा दिया है। विस्थापित परिवारों की वापसी के दौरान हुई इस घटना ने स्थिति को और संवेदनशील बना दिया है। प्रशासन मामले की जांच कर रहा है, जबकि स्थानीय लोग दहशत में हैं। इस घटना ने 2023 की हिंसा की यादें ताजा कर दी हैं, जिसमें कई लोग प्रभावित हुए थे।
 

मणिपुर में शांति की कोशिशों के बीच नई हिंसा


जातीय संघर्ष से प्रभावित मणिपुर में शांति स्थापित करने के प्रयासों के बीच हाल ही में हुई हिंसा ने चिंता को बढ़ा दिया है। बिष्णुपुर और चूड़ाचांदपुर जिलों के सीमावर्ती क्षेत्रों में गोलीबारी की घटनाओं ने लोगों में पुरानी चिंताओं को फिर से जगा दिया है।


विस्थापितों की वापसी के बीच हुई गोलीबारी

सरकार ने विस्थापित परिवारों की वापसी की प्रक्रिया शुरू की थी, लेकिन इस घटना ने स्थिति को और संवेदनशील बना दिया है। प्रशासन अब इस मामले की गहन जांच कर रहा है।


फायरिंग की घटना का विवरण

अधिकारियों के अनुसार, मंगलवार रात लगभग 8:30 बजे चूड़ाचांदपुर जिले की सीमा से लगे तोरबंग और फौगाकचाओ इखाई क्षेत्रों में कई राउंड गोलियां चलाई गईं। बताया गया है कि कुछ अज्ञात हथियारबंद लोग तोरबंग गांव पर हमला कर रहे थे। सुरक्षाबलों ने तुरंत प्रतिक्रिया दी, जिससे स्थिति और तनावपूर्ण हो गई।


गोलीबारी के साथ बमों का प्रयोग

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, इस फायरिंग के दौरान हमलावरों ने बम भी फेंके। यह घटना लगभग 20 मिनट तक चली, जिससे आसपास के गांवों में अफरा-तफरी मच गई। लोग अपने घरों में छिपने को मजबूर हो गए और कई परिवारों ने रात दहशत में बिताई।


एक नागरिक घायल

इस गोलीबारी में एक नागरिक के घायल होने की पुष्टि हुई है, हालांकि उसकी पहचान अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है। अधिकारियों का कहना है कि घायल व्यक्ति को सुरक्षित स्थान पर इलाज के लिए भेजा गया है। प्रशासन यह भी जांच कर रहा है कि हमलावरों का उद्देश्य क्या था।


विस्थापितों की वापसी के बाद की स्थिति

स्थानीय लोगों के अनुसार, सरकार के निर्देश पर हाल ही में 67 परिवारों के 389 विस्थापित लोगों को तोरबंग में फिर से बसाया गया था। इस घटना के बाद इलाके में तनाव बढ़ गया है।


पुरानी हिंसा की यादें ताजा

यह ध्यान देने योग्य है कि मणिपुर में 2023 में हुई हिंसा में 260 से अधिक लोगों की जान गई थी और 60,000 से ज्यादा लोग विस्थापित हुए थे। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए 13 फरवरी से राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू है। सरकार की पुनर्वास की कोशिशें जारी हैं, लेकिन हालिया घटना ने शांति बहाली की चुनौतियों को और बढ़ा दिया है।