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मतदाता गोपनीयता पर चुनाव आयोग का सख्त रुख

चुनाव आयोग ने मतदाता गोपनीयता को लेकर एक सख्त रुख अपनाया है। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने स्पष्ट किया है कि मतदाताओं की व्यक्तिगत जानकारी या फुटेज साझा नहीं की जाएगी। उन्होंने हाल ही में मीडिया में सामने आए मामलों का जिक्र करते हुए कहा कि मतदाताओं की निजता का उल्लंघन नहीं किया जा सकता। जानें इस मुद्दे पर आयोग का क्या कहना है और विपक्षी दलों की मांगों का क्या हुआ।
 

मतदाता गोपनीयता विवाद

देशभर में 'वोट चोरी' के आरोपों के बीच, चुनाव आयोग ने मतदाता की गोपनीयता को लेकर एक कठोर रुख अपनाया है। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने रविवार को स्पष्ट किया कि आयोग किसी भी स्थिति में मतदाताओं की व्यक्तिगत जानकारी या फुटेज साझा नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि मतदान प्रक्रिया में पारदर्शिता महत्वपूर्ण है, लेकिन मतदाताओं की गोपनीयता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।


सीसीटीवी फुटेज का मुद्दा

ज्ञानेश कुमार ने हाल ही में मीडिया में आए मामलों का उल्लेख करते हुए कहा कि कुछ दिन पहले कई मतदाताओं की तस्वीरें बिना अनुमति के मीडिया में दिखाई गईं। उन पर सवाल उठाए गए और आरोप लगाए गए। उन्होंने सवाल किया कि क्या चुनाव आयोग को किसी भी मतदाता का सीसीटीवी वीडियो सार्वजनिक करना चाहिए? चाहे वह किसी की मां, बहन या बेटी हो, क्या उनकी निजता का उल्लंघन उचित है?


मतदाताओं के अधिकार

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मतदान केंद्रों पर सीसीटीवी का उपयोग केवल निगरानी के लिए किया जाता है ताकि प्रक्रिया निष्पक्ष और सुरक्षित बनी रहे। इसे सार्वजनिक करने का कोई औचित्य नहीं है, क्योंकि इससे मतदाताओं की सुरक्षा और व्यक्तिगत अधिकार प्रभावित होंगे।


मतदाता के चुनाव का अधिकार

मुख्य चुनाव आयुक्त ने यह भी दोहराया कि मतदाता सूची में जिनका नाम है, वही मतदान के लिए योग्य हैं। हर पात्र नागरिक को अपने उम्मीदवार को चुनने का अधिकार है, और आयोग इस अधिकार की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।


विपक्षी दलों की मांग

हाल ही में, विपक्षी दलों ने कुछ स्थानों पर कथित 'वोट चोरी' के मामलों को उठाया और सीसीटीवी फुटेज सार्वजनिक करने की मांग की। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि पारदर्शिता बनाए रखते हुए मतदाताओं की गोपनीयता सर्वोच्च प्राथमिकता होगी।