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मतदाता सूचियों का गहन पुनरीक्षण: चुनाव आयोग की नई पहल

निर्वाचन आयोग ने आगामी विधानसभाओं के चुनावों से पहले देशभर में मतदाता सूचियों के गहन पुनरीक्षण की योजना बनाई है। इस प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य अवैध प्रवासियों की पहचान करना और उन्हें बाहर निकालना है। आयोग ने राज्यों के मुख्य चुनाव अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे पिछली मतदाता सूचियों को तैयार रखें। इस कदम का महत्व इसलिए भी है क्योंकि अवैध घुसपैठिए देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को प्रभावित कर सकते हैं। जानें इस प्रक्रिया के पीछे के कारण और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
 

निर्वाचन आयोग की बैठक के बाद महत्वपूर्ण निर्णय

निर्वाचन आयोग ने राज्यों के मुख्य चुनाव अधिकारियों के साथ एक दिवसीय बैठक के बाद महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है। आगामी वर्ष में होने वाले कुछ विधानसभाओं के चुनावों से पहले, देशभर में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एस.आई.आर) का कार्य पूरा करने की योजना बनाई जा रही है। आयोग ने मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे पिछली एस.आई.आर के बाद प्रकाशित मतदाता सूचियों को तैयार रखें। आयोग ने स्पष्ट किया है कि बिहार के बाद, पूरे देश में एस.आई.आर की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। असम, केरल, पुड्डुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में 2026 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। निर्वाचन आयोग के अनुसार, इस गहन संशोधन का मुख्य उद्देश्य अवैध विदेशी प्रवासियों के जन्म स्थान की जांच करके उन्हें बाहर निकालना है। यह कदम बांग्लादेश और म्यांमार जैसे देशों से अवैध प्रवासियों पर कार्रवाई के संदर्भ में महत्वपूर्ण है।


विपक्षी दलों द्वारा भाजपा की सहायता के लिए आयोग पर मतदाता आंकड़ों में हेराफेरी के आरोपों के बीच, निर्वाचन आयोग ने गहन संशोधन में अतिरिक्त कदम उठाए हैं। राज्यों में अंतिम एस.आई.आर 'कट ऑफ' तिथि के रूप में कार्य करेगी, ठीक उसी तरह जैसे कि निर्वाचन आयोग बिहार की 2003 की मतदाता सूची का उपयोग कर रहा है। अधिकांश राज्यों ने 2002 और 2004 के बीच मतदाता सूचियों का संशोधन किया था। राज्य के बाहर से आने वाले आवेदकों के लिए एक अतिरिक्त 'घोषणा पत्र' पेश किया गया है, जिसमें उन्हें यह शपथपत्र देना होगा कि उनका जन्म एक जुलाई, 1987 से पहले भारत में हुआ था। इसके लिए उन्हें दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे, जिसमें उनके माता-पिता की जन्मतिथि और स्थान के बारे में जानकारी शामिल होगी। निर्वाचन आयोग ने बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को निर्देश दिया है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, मतदाताओं की पहचान स्थापित करने के लिए आधार कार्ड को एक अतिरिक्त दस्तावेज के रूप में स्वीकार किया जाए।


भारत के पड़ोसी देशों की स्थिति को देखते हुए, देशभर में मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण आवश्यक है। यदि अवैध घुसपैठिए देश की राजनीति को अपने अवैध मत से प्रभावित करने में सफल होते हैं, तो यह स्थिति लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा बन सकती है। बिहार में मतदाता सूचियों की गहन छानबीन को लेकर जो बयानबाजी हुई है और चुनाव आयोग को जिस तरह से कटघरे में खड़ा किया गया, वह खेदजनक है। राजनीतिक दलों का मुख्य उद्देश्य सत्ता प्राप्त करना है, लेकिन इसके लिए देश की संवैधानिक संस्थाओं की छवि को नुकसान पहुंचाना उचित नहीं है। अब जब देशभर में मतदाता सूचियों की गहन जांच होने जा रही है, तो उम्मीद है कि इस बार राजनीति से दूर रहकर लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत किया जाएगा।



-इरविन खन्ना, मुख्य संपादक।