मतदाता सूची के पुनरीक्षण की तैयारी, चुनाव आयोग ने उठाए कदम
चुनाव आयोग का नया कदम
बिहार विधानसभा चुनाव के संदर्भ में, चुनाव आयोग ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। आयोग अब देशभर में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण करने की योजना बना रहा है। सूत्रों के अनुसार, इसकी आधिकारिक घोषणा अक्टूबर से पहले की जा सकती है, और सभी राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य चुनाव अधिकारियों को इसकी तैयारी के लिए निर्देश दिए गए हैं।
मुख्य चुनाव अधिकारियों की बैठक
बुधवार को आयोजित एक दिन की बैठक में सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य चुनाव अधिकारियों (सीईओ) ने भाग लिया। इस बैठक में मतदाता सूची के पुनरीक्षण पर लगभग तीन घंटे की प्रस्तुति दी गई। अधिकारियों से यह भी पूछा गया कि वे इस प्रक्रिया के लिए कितनी जल्दी तैयार हो सकते हैं। अधिकांश ने आश्वासन दिया कि सितंबर तक आवश्यक तैयारियां पूरी कर ली जाएंगी, जिससे अक्टूबर में अभियान शुरू करने का मार्ग प्रशस्त होगा।
बिहार से राष्ट्रीय स्तर तक अभियान
चुनाव आयोग ने हाल ही में बिहार में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण किया था। अब इस प्रक्रिया को पूरे देश में लागू किया जाएगा। हालांकि, बिहार में इस अभियान पर विपक्षी दलों ने सवाल उठाए हैं। कांग्रेस, राजद और तृणमूल कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि इससे हाशिए पर खड़े समुदायों के मतदाताओं के नाम बड़ी संख्या में हटाए जा सकते हैं।
दस्तावेजों की सूची का निर्देश
बैठक में आयोग ने राज्यों को निर्देश दिया कि वे मतदाता सत्यापन के लिए आवश्यक दस्तावेजों की सूची तैयार करें। ये दस्तावेज स्थानीय स्तर पर आसानी से उपलब्ध और मान्य होने चाहिए। उदाहरण के लिए, पूर्वोत्तर राज्यों, तटीय क्षेत्रों और आदिवासी बहुल इलाकों में कुछ विशेष प्रकार के प्रमाणपत्र होते हैं, जिन्हें स्थानीय निकाय या स्वायत्त परिषदें जारी करती हैं। आयोग ने कहा कि राज्यों को इन भिन्नताओं को ध्यान में रखते हुए सूची को अंतिम रूप देना होगा।
पारदर्शिता और सटीकता का उद्देश्य
चुनाव आयोग का कहना है कि विशेष गहन पुनरीक्षण का मुख्य उद्देश्य मतदाता सूची को पारदर्शी और सटीक बनाना है। इस प्रक्रिया में मृतकों, स्थायी रूप से स्थानांतरित व्यक्तियों, दोहराए गए नामों और गैर-नागरिकों को सूची से हटाया जाएगा। साथ ही, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई भी योग्य मतदाता सूची से बाहर न रहे। आयोग ने स्पष्ट किया है कि यह अभियान किसी राजनीतिक उद्देश्य से नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया की मजबूती और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए है।