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मदर टेरेसा की जयंती: मानवता की सेवा में समर्पित जीवन

मदर टेरेसा की जयंती पर, हम उनके जीवन और कार्यों को याद करते हैं। जानें कैसे उन्होंने मानवता की सेवा में अपना जीवन समर्पित किया, उनके असली नाम, भारत में उनके योगदान और उन्हें मिले सम्मान के बारे में। मदर टेरेसा का जीवन हमें सिखाता है कि सच्ची सेवा बिना भेदभाव के की जा सकती है।
 

मदर टेरेसा की जयंती 2025

आज पूरी दुनिया उस महान संत और समाजसेवी मदर टेरेसा को याद कर रही है, जिनका जीवन मानवता की सेवा में समर्पित रहा। उनका जन्म 26 अगस्त 1910 को मेसेडोनिया के स्कोप्जे में हुआ था। हालांकि, उन्हें मदर टेरेसा के नाम से जाना जाता है, उनका असली नाम कुछ और था। बचपन से ही सेवा भाव से जुड़ी मदर टेरेसा ने मात्र 12 वर्ष की आयु में यह समझ लिया था कि उनका जीवन मानवता के लिए होगा।


मदर टेरेसा का असली नाम

मदर टेरेसा का जन्म नाम एग्नेस था। उन्होंने संत टेरेसा ऑफ अविला से प्रेरित होकर अपना नाम टेरेसा रखा। ईसाई धर्म की परंपरा के अनुसार, उनका बैप्टाइजेशन जन्म के अगले दिन हुआ, इसलिए वह 27 अगस्त को अपना जन्मदिन मानती थीं।


भारत में मदर टेरेसा का योगदान

भारत आने के बाद, मदर टेरेसा ने दार्जिलिंग में रहकर बंगाली भाषा सीखी और कोलकाता के लोरेटो कॉन्वेंट स्कूल में 20 वर्षों तक पढ़ाया। लेकिन 1946 में मिले आध्यात्मिक अनुभव ने उनके जीवन की दिशा बदल दी। उन्होंने अध्यापन छोड़कर सड़कों पर बेसहारा और बीमार लोगों की सेवा करने का संकल्प लिया। भारतीय समाज में घुलने-मिलने के लिए उन्होंने साड़ी पहनना शुरू किया और जरूरतमंदों की मदद के लिए भीख भी मांगी। 1947 में उन्होंने भारतीय नागरिकता ली और जीवनभर गरीबों का सहारा बनीं।


मदर टेरेसा के चमत्कार

मदर टेरेसा की करुणा को लोग केवल सेवा नहीं, बल्कि चमत्कार भी मानते हैं। पश्चिम बंगाल की मोनिका बेसरा ने दावा किया कि उनकी प्रार्थना से उनका कैंसर ठीक हो गया। एक फ्रांसीसी लड़की ने कहा कि मदर टेरेसा के मेडल को छूने से उसकी टूटी पसलियां ठीक हो गईं। इन घटनाओं को वेटिकन ने मान्यता दी और 2016 में पोप फ्रांसिस ने उन्हें संत घोषित किया।


सम्मान और विरासत

मानवता की सेवा के लिए मदर टेरेसा को 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार और 1980 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया। उनकी विरासत आज भी मिशनरीज ऑफ चैरिटी के माध्यम से जारी है। मदर टेरेसा का जीवन यह संदेश देता है कि सच्ची सेवा बिना किसी भेदभाव के की जा सकती है।