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मद्रास हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला: महिला ने छिपाई आय, गुजारा भत्ता घटाया गया

मद्रास हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण मामले में फैसला सुनाया है, जिसमें एक महिला ने अपनी आय छिपाकर गुजारा भत्ता बढ़ाने का प्रयास किया। अदालत ने उसकी वास्तविक आय के सबूतों के आधार पर गुजारा भत्ता घटाकर 10,000 रुपये प्रति माह कर दिया। यह मामला न्याय प्रक्रिया में ईमानदारी और पारदर्शिता की आवश्यकता को उजागर करता है। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और अदालत के निर्णय के पीछे के तर्क।
 

महिला की आय छिपाने का मामला

चेन्नई: तलाक के बाद गुजारा भत्ता को लेकर चल रहे एक मामले में मद्रास हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। एक महिला, जो हर महीने लगभग 1 लाख रुपये कमाती थी, ने अदालत में अपनी वास्तविक आय को छिपाने का प्रयास किया ताकि उसे अपने पति से अधिक गुजारा भत्ता मिल सके।


पारिवारिक अदालत का प्रारंभिक आदेश

इस मामले में, पारिवारिक अदालत ने पहले महिला की याचिका पर उसके पति को 15,000 रुपये प्रति माह गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था। लेकिन, पति के वकील ने अदालत में सबूत पेश किए कि महिला एक निजी कंपनी में काम कर रही है और उसकी मासिक आय लगभग 1 लाख रुपये है।


हाईकोर्ट का संशोधित निर्णय

इन तथ्यों के सामने आने के बाद, मद्रास हाईकोर्ट ने पारिवारिक अदालत के निर्णय को संशोधित करते हुए गुजारा भत्ता घटाकर 10,000 रुपये प्रति माह कर दिया। अदालत ने यह भी कहा कि किसी भी पक्ष द्वारा सच्चाई को छिपाना न्याय प्रक्रिया के साथ धोखा है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।


गुजारा भत्ता का उद्देश्य

अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि गुजारा भत्ता का उद्देश्य आर्थिक रूप से निर्भर जीवनसाथी को सहायता प्रदान करना है, न कि उसे अनुचित लाभ का साधन बनाना। इस मामले को अदालत ने “ईमानदारी और पारदर्शिता की आवश्यकता” पर जोर देने वाला उदाहरण बताया।