मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की तैयारी
ओबीसी आरक्षण पर महत्वपूर्ण सुनवाई
मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 24 सितंबर को निर्धारित की गई है। राज्य सरकार ने इस मामले के लिए अपनी कानूनी टीम को पूरी तरह से तैयार किया है। इसमें वरिष्ठ अधिवक्ता और राज्यसभा सांसद पी बिल्सन, शशांक रत्नु सहित अन्य वकीलों को शामिल किया गया है। इसके साथ ही, एडवोकेट जनरल भी राज्य का पक्ष प्रस्तुत करेंगे। सरकारी सूत्रों के अनुसार, अतिरिक्त सचिव अजय कट्सरिया को कानूनी टीम का समन्वय करने की जिम्मेदारी दी गई है।
उनकी जिम्मेदारी होगी कि सभी सदस्य सुप्रीम कोर्ट में अपने कर्तव्यों का प्रभावी ढंग से निर्वहन करें और मध्य प्रदेश सरकार की ओर से प्रस्तुत की जाने वाली दलीलों का सामंजस्य बनाए रखें। यह सुनवाई इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि ओबीसी आरक्षण को लेकर राज्य में पहले भी कई विवाद उठ चुके हैं। शिक्षा, सरकारी नौकरियों और अन्य सामाजिक क्षेत्रों में आरक्षण के नियमों पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय भविष्य की नीतियों के लिए मार्गदर्शक होगा।
इस सुनवाई के बाद मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण से जुड़े विवादों का समाधान सरल हो जाएगा। इससे स्पष्ट नियमावली तैयार की जा सकेगी। राज्य सरकार ने पहले ही सभी आवश्यक दस्तावेज और साक्ष्य सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत करने की तैयारी कर ली है। यह मामला राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी संवेदनशील है, क्योंकि इसका प्रभाव राज्य के पिछड़े वर्ग और सामाजिक न्याय से जुड़े हितों पर पड़ेगा। सरकारी अधिकारियों ने बताया कि कानूनी टीम पूरी तरह से सक्रिय है, ताकि सुनवाई में राज्य का पक्ष मजबूती से रखा जा सके।