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मनोज झा ने राष्ट्रीय सुरक्षा पर उठाए सवाल, सरकार की नीतियों पर कसा तंज

राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज झा ने संसद में राष्ट्रीय सुरक्षा को एक संवेदनशील मुद्दा बताते हुए सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सेना और राजनीतिक नेतृत्व अलग हैं और देशभक्ति पर मजहब के आधार पर सवाल नहीं उठाना चाहिए। झा ने प्रधानमंत्री से अपील की कि वे अमेरिकी राष्ट्रपति के दावे का खंडन करें। जानें उनके विचार और सुझावों के बारे में इस लेख में।
 

राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर चर्चा


नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान राष्ट्रीय जनता दल के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा केवल एक नारा नहीं, बल्कि एक संवेदनशील मुद्दा है। उन्होंने यह भी कहा कि जब कोई आपदा या दुर्घटना होती है, तब हमें एकजुट होना चाहिए। यह समझना आवश्यक है कि सेना और राजनीतिक नेतृत्व दो अलग-अलग पहलू हैं।


मनोज झा ने कहा कि हमारी सेना की विशेषता यह है कि विभिन्न धर्मों के लोग एक तिरंगे के नीचे एकजुट होते हैं। जब कर्नल सोफिया और विंग कमांडर व्योमिका जैसे लोग आते हैं, तो हम गर्व महसूस करते हैं। उन्होंने कहा कि किसी की देशभक्ति पर मजहब के आधार पर सवाल नहीं उठाना चाहिए। जिंदा लोग केवल आंकड़े नहीं होते। असल में, जिम्मेदारी का निर्धारण नहीं हुआ है। इंसानी जीवन के वैक्यूम को कोई कैमरा नहीं भर सकता। मुआवजे और आंकड़ों के बीच भी एक वैक्यूम होता है।


उन्होंने आगे कहा कि राजनीति के लिए समय है, लेकिन सेना के मान और शौर्य पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। कल लोकसभा की कार्यवाही में प्रधानमंत्री ने कहा कि वह भारत का पक्ष रखने आए हैं। लेकिन संसद तो भारत का ही प्रतिनिधित्व करती है। पक्ष और विपक्ष दोनों भारत के हिस्से हैं। सरकार का पक्ष रखना चाहिए, लेकिन सरकार देश का पर्याय नहीं है।


मनोज झा ने कहा कि अगर नेहरू इतने वर्षों बाद भी आपको परेशान कर रहे हैं, तो कुछ तो बात थी उस व्यक्ति में। उन्होंने सुझाव दिया कि बेहतर होगा कि एक मुकदमा दायर किया जाए ताकि जवाहरलाल नेहरू को हाजिर किया जा सके। उन्होंने कहा कि गुडविल मिशन को दुनिया में भेजना एक अच्छा निर्णय था, लेकिन हमें अपने देश में भी ऐसे मिशन भेजने चाहिए।


उन्होंने प्रधानमंत्री से अपील की कि वह सदन में आएं और अमेरिकी राष्ट्रपति के दावे का खंडन करें, उन्हें सदी का सबसे बड़ा झूठा घोषित करें।