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महबूबा मुफ्ती ने ईद पर फिलिस्तीन के मुद्दे और जम्मू-कश्मीर में धार्मिक स्वतंत्रता पर उठाई आवाज

महबूबा मुफ्ती ने ईद-उल-अजहा के अवसर पर फिलिस्तीन में हो रहे अत्याचारों की निंदा की और जम्मू-कश्मीर में धार्मिक स्वतंत्रता पर चिंता जताई। उन्होंने सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि मुसलमानों के अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है। मुफ्ती ने कश्मीरी पंडितों के राजनीतिक सशक्तिकरण की भी मांग की, जिससे कश्मीर में सांप्रदायिक एकता को बढ़ावा मिले। उनके बयान ने धार्मिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति के अधिकारों पर चल रही बहस को और तेज कर दिया है।
 

महबूबा मुफ्ती का बयान

महबूबा मुफ्ती: ईद-उल-अजहा के अवसर पर, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने फिलिस्तीन में हो रहे अत्याचारों की कड़ी निंदा की। उन्होंने श्रीनगर की हजरतबल दरगाह में नमाज अदा करने के बाद मीडिया से बातचीत में कहा, 'हमने फिलिस्तीन के लोगों की भलाई के लिए प्रार्थना की है। हम प्रार्थना करते हैं कि फिलिस्तीन जल्द ही इजराइल के अत्याचारों से मुक्त हो।' महबूबा ने इस अवसर पर अपनी बेटी और PDP नेता इल्तिजा मुफ्ती के साथ दरगाह में नमाज अदा की, जिससे एकजुटता का संदेश गया।


जम्मू-कश्मीर सरकार पर तीखा हमला

महबूबा मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर की वर्तमान सरकार पर भी तीखा हमला किया। उन्होंने श्रीनगर की ऐतिहासिक जामा मस्जिद में ईद की नमाज पर प्रतिबंध और हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के नेता मीरवाइज उमर फारूक की नजरबंदी की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा, 'दुर्भाग्य से सरकार ने इस पवित्र दिन पर जामा मस्जिद में नमाज अदा करने की अनुमति नहीं दी है और मीरवाइज उमर फारूक को नजरबंद कर दिया है। मैं राज्य सरकार के खिलाफ भी विरोध करती हूँ जो सिर्फ सब कुछ देख रही है और कुछ नहीं कर रही।' यह बयान जम्मू-कश्मीर में धार्मिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति के अधिकारों पर चल रही बहस को और गर्म करता है।


मुसलमानों के अधिकारों पर चिंता

महबूबा ने न केवल फिलिस्तीन के मुद्दे को उठाया बल्कि भारत में मुसलमानों के अधिकारों पर भी चिंता जताई। उन्होंने पहले भी ईद-उल-फितर के मौके पर कहा था कि देश में मुसलमानों के अधिकारों को दबाया जा रहा है और कश्मीर में मस्जिदों को बंद रखना सरकार की नाकामी को दर्शाता है। इस बार भी उन्होंने अपनी बात को दोहराते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में धार्मिक स्थलों पर पाबंदियां और नजरबंदी जैसे कदम लोगों के मन में असंतोष पैदा करते हैं। उन्होंने स्थायी शांति के लिए संवाद और समावेशी नीतियों की वकालत की।


कश्मीरी पंडितों के लिए भी उठाई आवाज

महबूबा मुफ्ती ने हाल ही में कश्मीरी पंडितों की घाटी में वापसी और उनके राजनीतिक सशक्तिकरण की मांग को भी जोरदार तरीके से उठाया है। उन्होंने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से मुलाकात कर कश्मीरी पंडितों के लिए आरक्षण और अमरनाथ यात्रा में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने की बात कही। इस कदम को कश्मीर की सांप्रदायिक एकता को मजबूत करने की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास माना जा रहा है।