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महाराष्ट्र की भाषा नीति में बदलाव: हिंदी को तीसरी भाषा बनाने का निर्णय रद्द

महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में तीन-भाषा नीति के तहत हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में लागू करने के निर्णय को रद्द कर दिया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एक नई समिति के गठन की घोषणा की है, जो इस नीति की समीक्षा करेगी। यह निर्णय विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों के विरोध के बाद लिया गया। समिति का उद्देश्य मराठी भाषा को केंद्र में रखते हुए नई नीति के सुझाव देना है। जानें इस मुद्दे पर और क्या हो रहा है।
 

महाराष्ट्र सरकार की नई भाषा नीति

Maharashtra language policy: महाराष्ट्र सरकार ने रविवार को तीन-भाषा नीति से संबंधित संशोधित शासन निर्णय (GR) को रद्द कर दिया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में लागू करने के निर्णय पर बढ़ते विरोध को देखते हुए एक नई समिति के गठन की घोषणा की, जो इस नीति की समीक्षा कर नए सुझाव देगी।


हिंदी को तीसरी भाषा बनाने पर उठे सवाल

यह मामला तब गंभीर हुआ जब महायुति सरकार ने अप्रैल में एक GR जारी किया, जिसमें कहा गया कि मराठी और इंग्लिश मीडियम स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक हिंदी को डिफॉल्ट तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाएगा। यह निर्णय राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन के तहत लिया गया था।


हालांकि, जैसे ही यह निर्णय सामने आया, विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक-सांस्कृतिक संगठनों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया। उन पर आरोप लगा कि यह निर्णय हिंदी को थोपने और क्षेत्रीय भाषाओं की अनदेखी करने की दिशा में एक कदम है।


फडणवीस का स्पष्टीकरण और नया निर्णय

विरोध के बढ़ने पर मुख्यमंत्री फडणवीस ने स्पष्ट किया कि हिंदी को अनिवार्य नहीं किया जाएगा और छात्र किसी अन्य भारतीय भाषा का चयन कर सकेंगे। इसके बाद एक संशोधित GR जारी किया गया, जिसमें कहा गया कि सामान्यतः हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाएगा, लेकिन यदि किसी कक्षा में 20 से अधिक छात्र दूसरी भाषा पढ़ना चाहें, तो स्कूल को वैकल्पिक व्यवस्था करनी होगी।


फिर भी, विरोध जारी रहा। विपक्षी दलों और साहित्यिक संगठनों ने सरकार पर हिंदी को बढ़ावा देने और भाषाई विविधता को कमजोर करने का आरोप लगाया।


मराठी अस्मिता की रक्षा में ठाकरे बंधुओं का एकजुटता

तीन-भाषा नीति के खिलाफ सबसे मुखर विरोध महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) ने किया। राज ठाकरे ने मराठी भाषियों से सड़कों पर उतरने की अपील की। इस मुद्दे पर उन्होंने शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के प्रमुख उद्धव ठाकरे के साथ मिलकर साझा आंदोलन करने का निर्णय लिया। हिंदी थोपने के खिलाफ मुंबई में एक विशाल मोर्चा निकालने की घोषणा के बाद राज्य सरकार पर दबाव बढ़ गया।


सरकार ने GR रद्द कर नई समिति का गठन किया

मुख्यमंत्री फडणवीस ने बताया, "आज कैबिनेट में हमने निर्णय लिया है कि त्रिभाषा नीति और इसके कार्यान्वयन पर डॉ. नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में एक समिति बनाई जाएगी। इस समिति की रिपोर्ट के आधार पर त्रिभाषा नीति को लागू किया जाएगा।"


उन्होंने आगे कहा, "इसलिए, हम तीन-भाषा नीति से संबंधित दोनों जीआर रद्द कर रहे हैं। यह समिति हितधारकों से परामर्श करेगी। हमारे लिए, केंद्र बिंदु मराठी है,"


सरकार अब डॉ नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में एक नई समिति बनाएगी, जो संबंधित पक्षों से बातचीत कर तीन-भाषा नीति के कार्यान्वयन के लिए अंतिम सुझाव देगी।