मानसून में इलेक्ट्रिक शॉक से बचने के उपाय और जानलेवा करंट की जानकारी
मानसून देखभाल के सुझाव
मानसून देखभाल के सुझाव: देश में मानसून का आगमन हो चुका है, जिससे बीमारियों के साथ-साथ बिजली से झटके लगने की घटनाएं भी बढ़ने की संभावना है। भारत में इलेक्ट्रिक शॉक से होने वाली मौतें आम हो गई हैं। कभी बारिश के बाद बिजली के खंभों से करंट लगता है, तो कभी घर में पानी और सीलन के कारण लोग करंट का शिकार हो जाते हैं। हाल ही में दिल्ली में एक पत्नी ने अपने पति को इलेक्ट्रिक शॉक देकर जान ले ली, जिसने सभी को चौंका दिया। इस घटना ने एक महत्वपूर्ण सवाल उठाया है कि कितनी वोल्टेज पर इंसान की जान जा सकती है और क्या घर के अंदर और बाहर की फ्रीक्वेंसी में कोई अंतर होता है। आइए जानते हैं विशेषज्ञों की राय।
करंट की जानलेवा क्षमता
करंट की जानलेवा क्षमता
करंट की जानलेवा क्षमता इस बात पर निर्भर करती है कि किस वोल्टेज में व्यक्ति को करंट लगा है और उसका शरीर उसे सहन कर सकता है या नहीं। दिल्ली-एनसीआर के अक्षय कुमार मोहंती, जो एक बिल्डिंग कॉन्ट्रेक्टर हैं, बताते हैं कि आम घरों और बिजली के खंभों में वोल्टेज अलग-अलग होती है। घरों में 220 वोल्ट की सप्लाई होती है, जबकि रिहायशी इलाकों में यह 240 वोल्ट तक हो सकती है। अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्रों में 11,000 वोल्ट की सप्लाई होती है, और टावर लाइनों में 33,000 वोल्ट का उपयोग होता है।
मौत का कारण
मौत का कारण
इलेक्ट्रिक विशेषज्ञों के अनुसार, 230 वोल्ट के करंट से किसी की मौत होना निश्चित है। इसलिए आम घरों में वोल्टेज सप्लाई कम होती है। यदि कोई व्यक्ति 230 वोल्ट से अधिक का करंट सहन करता है, तो उसे लकवा या मानसिक समस्याएं हो सकती हैं। करंट का प्रभाव दिल की धड़कनों पर पड़ता है, जिससे कार्डियक अरेस्ट या हार्ट अटैक हो सकता है।
डॉक्टरों की राय
डॉक्टरों की राय
जबलपुर के क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ डॉक्टर दीपक शुक्ला बताते हैं कि हमारे घरों में मौजूद उपकरणों में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स होती हैं। हमारे शरीर में सोडियम, पोटेशियम और कैल्शियम जैसे आयन होते हैं। जब ये आयन करंट के संपर्क में आते हैं, तो शरीर प्रतिक्रिया करता है। उच्च वोल्टेज से दिल या मस्तिष्क पर अटैक हो सकता है। हल्का करंट भी कुछ समय तक दर्द या झनझनाहट का कारण बन सकता है।
इंजरी के प्रकार
इंजरी के प्रकार
करंट लगने पर चार प्रकार की इंजरी हो सकती हैं। हल्के करंट से स्किन पर असर होता है, जबकि लंबे समय तक करंट के संपर्क में रहने से कपड़े जल सकते हैं। लो फ्रीक्वेंसी करंट से लाइट इंजरी होती है, जबकि ट्रू इंजरी में तेज वोल्टेज का करंट पूरे शरीर में दौड़ता है। इन दोनों स्थितियों में अस्पताल जाना आवश्यक होता है। इसलिए मानसून में बिजली के उपकरणों का सही तरीके से उपयोग करना चाहिए।
DERC की सुविधाएं
DERC की सुविधाएं
दिल्ली इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन ने बिजली से होने वाली मौतों पर 7.5 लाख रुपये का मुआवजा देने की व्यवस्था की है। यदि किसी को करंट लगने के बाद 60% तक दिव्यांगता का सामना करना पड़ता है, तो उसे 5 लाख रुपये दिए जाएंगे।
करंट लगने पर क्या करें?
करंट लगने पर क्या करें?
यदि किसी को करंट लगे, तो सबसे पहले मेन स्विच को बंद करें। फिर व्यक्ति को लकड़ी या रबर की चीज से हटाने की कोशिश करें। यदि व्यक्ति बेहोश है, तो उसे सीपीआर दें और तुरंत अस्पताल ले जाएं। यदि जलने की स्थिति है, तो त्वचा को गीले कपड़े से ठंडा करें।
मानसून में सावधानियां
मानसून में सावधानियां
- गीले हाथों से बिजली के उपकरणों को न छुएं।
- बच्चों को बिजली के उपकरणों से दूर रखें।
- लोहे के खंभों, खुले तारों या गीली जमीन पर न चलें।
- नंगे पैर स्विचबोर्ड्स का उपयोग कम करें।