मानसून सत्र का समापन: 120 घंटे में केवल 37 घंटे का कार्य
मानसून सत्र का समापन
संसद का मानसून सत्र, जो 21 जुलाई को हंगामे के साथ शुरू हुआ था, 21 अगस्त को भी उसी तरह समाप्त हुआ। इस दौरान, बार-बार व्यवधान, स्थगन और बहिष्कार के कारण, निर्धारित 120 घंटों में से केवल 37 घंटे ही कार्य हो सका। "ऑपरेशन सिंदूर" पर चर्चा के अलावा, दोनों सदनों में बहुत कम रचनात्मक कार्य हुआ।
लोकसभा और राज्यसभा में विधेयकों का पारित होना
विधेयक पारित: हंगामे के बावजूद, लोकसभा में 12 और राज्यसभा में 14 विधेयक पारित हुए।
व्यवधान: विपक्ष के आक्रामक विरोध, विशेषकर बिहार एसआईआर मुद्दे पर, ने सत्र को प्रभावित किया।
विशेष चर्चा: 28-29 जुलाई को ऑपरेशन सिंदूर पर एक विशेष बहस हुई, जिसका समापन प्रधानमंत्री मोदी के उत्तर के साथ हुआ। 18 अगस्त को भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम पर एक बहस शुरू हुई।
लोकसभा अध्यक्ष की प्रतिक्रिया
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि बहस गरिमापूर्ण होनी चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी, मंत्रियों, विपक्षी नेताओं, सांसदों, मीडिया और लोकसभा सचिवालय को उनके सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। राज्यसभा में, बिल ऑफ लैडिंग विधेयक, 2025 पहले दिन सुचारू रूप से पारित हो गया, लेकिन अधिकांश अन्य विधेयक हंगामे या बहिर्गमन के बीच पारित हुए।
गृह मंत्री द्वारा विधेयकों का प्रस्तुतिकरण
इस बीच, लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने तीन विधेयक पेश किए, लेकिन विपक्ष ने विरोध में कागज़ फाड़कर उन पर फेंके। फिर भी, ऑनलाइन गेमिंग प्रोत्साहन एवं विनियमन विधेयक, 2025 सफलतापूर्वक पारित हो गया।
आईआईएम विधेयक का पारित होना
राज्यसभा ने आईआईएम (संशोधन) विधेयक, 2025 भी पारित किया, जिससे असम के गुवाहाटी में एक नए भारतीय प्रबंधन संस्थान की स्थापना का मार्ग प्रशस्त हुआ। अगले साल होने वाले राज्य चुनावों से पहले इस कदम को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने सत्र को "विजयोत्सव" बताया, लेकिन विपक्ष ने यह सुनिश्चित किया कि अधिकांश कार्यवाही में व्यवधान बना रहे।
अधिक जानकारी
ये भी पढ़ें : Parliament Session Live : गृह मंत्री आज संसद में लाएंगे 130वां संविधान संशोधन बिल