मार्गशीर्ष अमावस्या: जानें कब मनाई जाएगी
पितरों के लिए समर्पित तिथि
मार्गशीर्ष अमावस्या, नई दिल्ली: हर महीने के कृष्ण पक्ष की 15वीं तिथि को अमावस्या का पर्व मनाया जाता है, जिसे हिंदू धर्म में विशेष महत्व दिया जाता है। जैसे एकादशी भगवान विष्णु को और त्रयोदशी भगवान शिव को समर्पित होती है, वैसे ही अमावस्या पितरों के लिए समर्पित मानी जाती है। इस समय मार्गशीर्ष माह चल रहा है, और इस महीने की अमावस्या को लेकर कुछ भ्रम है कि यह 19 नवंबर को है या 20 नवंबर को। आइए जानते हैं कि नवंबर में मार्गशीर्ष अमावस्या कब है।
मार्गशीर्ष महीने में अमावस्या की तिथि
द्रिक पंचांग के अनुसार, नवंबर 2025 में अमावस्या 19 नवंबर को सुबह 9:43 बजे शुरू होकर 20 नवंबर 2025 को दोपहर 12:16 बजे समाप्त होगी। इस प्रकार, उदया तिथि के अनुसार, मार्गशीर्ष अमावस्या 20 नवंबर 2025, गुरुवार को मनाई जाएगी।
अमावस्या के दिन क्या करें
मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करना, जरूरतमंदों को दान देना और दीपदान करना अत्यंत महत्वपूर्ण और पुण्यदायी माना जाता है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना सबसे उत्तम होता है। 20 नवंबर को ब्रह्म मुहूर्त का समय सुबह 5:01 से 5:54 बजे तक रहेगा।
मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व
पितरों को प्रसन्न करने और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए मार्गशीर्ष अमावस्या का दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो लोग अपने पितरों की मोक्ष प्राप्ति और आशीर्वाद के लिए कुछ करना चाहते हैं, उन्हें इस दिन उपवास रखकर पूजा करनी चाहिए। साथ ही, पितरों के निमित्त तर्पण और श्राद्ध करना भी लाभकारी होता है।
उपाय और अनुष्ठान
- दीप जलाएं: घर के ईशानकोण (उत्तर-पूर्व) में घी का दीपक जलाएं और इसे सूर्यास्त तक जलने दें। फिर शाम को दक्षिण दिशा में सरसों के तेल में काला तिल डालकर दीपक जलाएं।
- पितरों के लिए: पितरों को प्रसन्न करने के लिए पीपल के पेड़ पर जल और काले तिल अर्पित करें और शाम को पीपल के नीचे दीपक जलाकर परिक्रमा करें। पितृ स्तोत्र और पितृ कवच का पाठ करें।
- लक्ष्मी पूजा: अमावस्या पर लक्ष्मी और विष्णु की पूजा करें। साथ ही, उनका दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक कर सकते हैं।
- मंत्र जाप: अमावस्या पर आर्थिक स्थिति की मजबूती के लिए 108 बार तुलसी की माला से गायत्री मंत्र का जाप करें।