×

मालदीव में भारत की वापसी: मुज़्ज़ू की विदेश नीति में बदलाव

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुज़्ज़ू ने भारत के प्रति अपने रुख में बदलाव किया है। 'इंडिया आउट' अभियान के तहत चुनाव जीतने के बाद, मुज़्ज़ू ने भारत को नजरअंदाज किया, लेकिन अब उन्हें यह समझ में आ गया है कि भारत के बिना मालदीव की स्थिति कमजोर है। प्रधानमंत्री मोदी की हालिया यात्रा ने यह संकेत दिया है कि भारत अब मालदीव में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए तैयार है। जानें इस बदलाव के पीछे की रणनीति और भविष्य की संभावनाएँ।
 

मोहम्मद मुज़्ज़ू का राष्ट्रपति बनना और भारत के प्रति सख्त रुख

जब मोहम्मद मुज़्ज़ू ने 2023 में मालदीव के राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभाला, तो उन्होंने भारत को स्पष्ट संदेश दिया कि उसे मालदीव से बाहर निकल जाना चाहिए। मुज़्ज़ू ने चुनावी प्रचार के दौरान 'इंडिया आउट' के नारे का इस्तेमाल किया और भारतीय सैनिकों को देश से बाहर निकालने का वादा किया। उनकी यह चुनावी रणनीति राष्ट्रवादी भावनाओं से भरी हुई थी, जिसका उन्हें चुनावी परिणामों में लाभ मिला। मुज़्ज़ू ने एकतरफा जीत हासिल की, जो उनके लिए मालदीव की विदेश नीति में बदलाव का जनादेश था.


पहली विदेश यात्रा में भारत को नजरअंदाज करना

राष्ट्रपति बनने के बाद, मुज़्ज़ू ने परंपरा को तोड़ते हुए अपनी पहली विदेश यात्रा में भारत को नजरअंदाज किया और सीधे तुर्की और चीन का दौरा किया। उनके जूनियर मंत्रियों ने सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ टिप्पणियाँ कीं, जबकि भारत ने संयमित प्रतिक्रिया दी। कोई सार्वजनिक नाराजगी या आधिकारिक विरोध नहीं था, बल्कि भारतीय पर्यटकों ने मालदीव का बहिष्कार किया, जिससे मालदीव की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा.


भारत की सैनिकों की वापसी और कूटनीतिक बातचीत

हालांकि मुज़्ज़ू ने भारतीय सैनिकों को मालदीव छोड़ने के लिए कहा, भारत ने मार्च 2024 में सैनिकों की वापसी कराई, लेकिन कूटनीतिक बातचीत का रास्ता खुला रखा। यह हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती मौजूदगी को देखते हुए आवश्यक था.


मालदीव की बदलती स्थिति

अब मालदीव को यह समझ में आ गया है कि भारत के बिना उसकी स्थिति कमजोर है। विदेशी निवेश में कमी आई है और चीन द्वारा दिए गए कर्ज़ की शर्तें जटिल होती जा रही हैं। मुज़्ज़ू की विदेश नीति अब विफल होती दिख रही है.


प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा और नए संकेत

हाल ही में, मुज़्ज़ू ने प्रधानमंत्री मोदी की शपथ ग्रहण समारोह में भाग लिया और मोदी ने मालदीव की 60वीं स्वतंत्रता वर्षगांठ पर मुख्य अतिथि के रूप में माले का दौरा किया। इस यात्रा ने यह संकेत दिया कि भारत अब मालदीव में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए तैयार है.


भविष्य की संभावनाएँ

हालांकि कोई यह उम्मीद नहीं करता कि मालदीव चीन से संबंध तोड़ लेगा, लेकिन मुज़्ज़ू अब समझने लगे हैं कि एकतरफा झुकाव की सीमाएँ हैं। भारत की नीति अब केवल एक सरकार तक सीमित नहीं है, बल्कि वह विपक्षी नेताओं से भी संवाद कर रहा है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भारत एक दीर्घकालिक साझेदार है.